एक ऐसा स्कूल जहां का प्रभारी प्राचार्य हमेशा उड़ाता हैं नियमों की धज्जियां,,, जांच रिपोर्ट में आता हैं पाक साफ,,, इत्तेफाक कहे या मिलीभगत…?

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हिंद स्वराष्ट्र बलरामपुर : शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गैना में प्रभारी प्राचार्य श्याम किशोर जायसवाल के द्वारा विद्यालय में भारी अनियमितता की जानकारी देखने को मिल रही है। दरअसल मामला गणतंत्र दिवस का है,जहां गैना शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में संयुक्त सचिव के आदेशों की अवहेलना की गई है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर जहां संयुक्त सचिव छत्तीसगढ़ संजय अग्रवाल ने कोरोना के प्रसार को देखते हुए 26 जनवरी के लिए कुछ गाइडलाइन जारी किए थे जिसमे स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है की किसी भी (राज्य / जिला / ब्लाक / पंचायत स्तर पर आयोजित कार्यक्रम में भी स्थिति में स्कूली छात्र/छात्राओं को एकत्रित नहीं किया जायेगा। परंतु गैना शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में जो नजारा देखने को मिल रहा है वह संयुक्त सचिव के आदेशों के पूर्णतः विपरीत है। आखिर जब संयुक्त सचिव ने अपने आदेश में कार्यकर्म संबंधी सभी रूपरेखा तैयार किए थे तब प्रभारी प्राचार्य द्वारा भीड़ इक्कठा करके कार्यकर्म का आयोजन करना संयुक्त सचिव छत्तीसगढ़ शासन के नियमो की अवहेलना करना है।

क्या प्रभारी प्राचार्य शासन के नियमों से परे हैं..?
आखिर जब प्राचार्य द्वारा शासन के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई तो हम यह सोचने को विवश हैं की क्या एक प्रभारी प्राचार्य का पद संयुक्त सचिव के पद से बड़ा है या फिर वो अपने आप को शासन से परे समझते हैं,जो इस तरह से शासन के नियमों की धज्जियां खुलेआम उड़ा रहे हैं। यदि प्राचार्य द्वारा इक्कठा किए भीड़ की वजह से वहां उपस्थित छात्र/छात्रों को संक्रमण हो जाता तो इसकी जिम्मेदारी किसकी बनती क्योंकि वहां उपस्थित अधिकतर ने ना तो मास्क लगा रखा था और ना ही उन्हें देख कर लग रहा था की उन्हें कोरोना गाइडलाइन की किसी प्रकार की जानकारी है।

जिला शिक्षा अधिकारी की बनती है जिम्मेदारी।
जिला शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी बनती है की वो शासन के नियमों का पालन कड़ाई से कराएं और कहीं ऐसी घटना सामने आती है जहां नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हों तो उसपर तुरंत उचित कार्यवाही करें। लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इस मामले पर चुप्पी साधना किसी मिलीभगत की ओर अंदेशा करता है,क्योंकि जिला शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी होती है की वो अपने जिले अंतर्गत आने वाली सभी शिक्षा संस्थानों में शासन के नियमों का कड़ाई से पालन कराएं ताकि किसी प्रकार की अनियमितता ना हो सके। लेकिन शिक्षा अधिकारी की खामोशी कहीं ना कहीं प्रभारी प्राचार्य श्याम किशोर जायसवाल पर उनकी उदारता या मिली भगत की ओर इशारा करता है।

कार्यवाही क्या होता है बलरामपुर जिला शिक्षा अधिकारी को नही पता

बलरामपुर के जिला शिक्षा अधिकारी को किस मामले में कैसी कार्यवाही करनी चाहिए मामले को जिम्मेदारी से संज्ञान लेना चाहिए शायद ये उन्हें नही पता क्योंकि जिला शिक्षा अधिकारी अपने प्रभारी प्राचार्य श्याम किशोर जायसवाल को बचाने में लगे हुए है और वहीं एक ओर जशपुर में टीचर के द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को समय से ना उतरने पर उसे निलंबित कर दिया गया था। जशपुर के जिला शिक्षा अधिकारी से बलरामपुर जिला शिक्षा अधिकारी को सीखने की जरूरत है।

कुछ ही दिन पहले संविधान दिवस का भी किया गया था उलंघन जिसमे नही हुई कोई कार्रवाई बल्कि भरपूर हुआ लीपापोती

संविधान दिवस के दिन समस्त स्कूलों में विभाग द्वारा संविधान शपथ की फॉर्मेट भेजी गई थी इसके बावजूद श्याम किशोर जायसवाल द्वारा संविधान दिवस का शपथ ना दिलवाकर मंत्रियों के जैसे शपथ दिलाया गया था और उसका वीडियो वायरल हो चुका था जैसे ही वीडियो हमे मिला हमने तत्काल संयुक्त संचालक सरगुजा को अवगत कराया। वही अवगत कराने के तुरंत बाद संयुक्त संचालक द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर किशन लाल महिलांगे को जांच के लिए बोला गया।

जांच में हुई पूरी तरह लीपापोती

जांच तो निष्पक्ष होता है परंतु जांच रिपोर्ट की माने तो गैना स्कूल में मौजूद सिर्फ तीन ही शिक्षक जो की प्राचार्य की अधीन या उनके पक्ष में रहते है का बयान लेकर जांच रिपोर्ट में यह बताया गया की उस स्कूल में सबसे पहले संविधान दिवस का शपथ दिलाया गया था इसके अलावा अलग से एक और शपथ दिलाया गया।

लेकिन सोचने वाली बात यह है की सारे शिक्षकों का बयान क्यों नही लिया गया यहां तक कि पूर्व प्राचार्य द्वीप लाल पैकरा का भी बयान लेना शिक्षा विभाग द्वारा जरूरी नहीं समझा गया। इससे यह अंदाजा लगाना गलत नही होगा की जिला शिक्षा अधिकारी के संरक्षण में यह सब हो रहा है
और फिर जब हम इस मामले की जानकारी के लिए संयुक्त संचालक के पास गए तो वो बीच बचाव करते नजर आए। जब हमने जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर से संपर्क किया तो उन्होंने जांच रिपोर्ट में वही बताया की पहले संविधान दिवस की शपथ दिलाई गई थी बाद में एक और शपथ दिलाई गई।
अब देखने वाली बात होगी की खबर लगने के बाद शिक्षा विभाग द्वारा क्या कार्यवाही होती है या फिर ऐसे ही अधिकारी कर्मचारी अपने जिम्मेदारी का दुरुपयोग करते रहेंगे।

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