सूरजपुर (हिंद स्वराष्ट्र समाचार पत्र) वैसे तो सूरजपुर जिलें के कलेक्टर ड़ॉ गौरव कुमार सिंह के कुशल नेतृत्व में प्रशासनिक अमला गांव गांव पहुंच कर तमाम आवश्यक जरूरतों की पूर्ति हो या समस्याओं का निराकरण करने में सक्रियता सराहनीय है लेकिन नवीन रेत खनन निती का पालन कराने से संबंधित मामलों पर शिकायत हो या ग्रामीणों की गुहार पर अबतक भौतिक धरातल पर जाकर स्थानीय ग्रामीणों के साथ चंद घंटे गुजार कर समझा व जाना जा सकता है।आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी या दवाब है जो रेत खनन ,परिवहन व संग्रहण कार्यो से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के स्थाई समाधान करने के दिशा में अभी भी असफल है, शेष रही सही कसर अबतक विज्ञप्ति व प्रेस कॉन्फ्रेंस में जुबानी तौर पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में अलग अलग गुटों में बटी प्रमुख विपक्षी दल भाजपा से लगाई गई उम्मीद व आशा निराशा में तब्दील होकर महज सियासतदानों के लिए अपनी सियासत चमकाने का अवसर बतौर बनकर रह गया है।
स्थानीय परिवहन कर्ताओं को पीटपास आवश्यक लेकिन अंतर्राज्यीय आवाजाही करनें वाली वाहनों पर कार्यवाही क्यों नहीं
जिलें में बरसात के सीजन से लेकर अबतक प्रशासनिक अमले द्वारा कार्यवाही करने में दोहरी नीति अपनाने के आरोप लगने के वावजूद भी अबतक स्थानीय स्तर पर परिवहन कार्य से आजीविका वर्धन करनें वाले तबकें को किसी भी तरह की गौण खनिज परिवहन करनें पर पीटपीट आवश्यक तौर पर रखने की हिदायत दिया जाता है।कभी कभी तो हाल ऐसा उभर कर सामने आता है, जिसमें खनिज नियमों का पालन सुनिश्चित कराने व अवैध गौण खनिज खनन, परिवहन के साथ ही व्यवसायिक तौर पर उपयोग करने वालों पय सख्त नियमों के तहत कार्यवाही किया जाता है।वहीं दूसरी तरफ ओवरलोड गौण खनिज पदार्थ अंतर्राज्यीय स्तर पर जिलें की विभिन्न घाट कहे या संग्रहण केंद्रों से अपने गंतव्य की ओर जाती वाहनों पर जांच प्रक्रिया के तहत कार्यवाही महज दहाई के आकड़ों मे सीमटा हुआ है।