नदियों व नालों से अंधाधुंध रेत खनन बन रहा कारण, बहानों की बैसाखी से अपने दायित्वों के निर्वहन मे लापरवाही को आखिरी कबतक रहेगा पर्दा

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साहब कैसे होगी पेयजल आपूर्ति परंपरागत साधनों से, लगातार गिरता जा रहा भूजलस्तर

सूरजपुर कौशलेन्द्र यादव (हिंद स्वराष्ट्र समाचार पत्र) जिलें में संचालित रेत घाटों पर रेत खनन, परिवहन कार्यों में मनमानी व गर्मी का मौसम आने में वैसे तो अभी कई माह शेष जरूर है लेकिन परंपरागत रूप से पानी जिसका उपयोग पेयजल सहित अन्य जरूरतों को पूर्ण करने हेतू कुआ ,बोरिंग जैसे संसाधनों से होने के दरम्यान धीरे धीरे गिरते भूजल स्तर एक बड़ी परेशानी का रूप धारण कर दस्तक देने से परेशान ग्रामीण क्षेत्रों के रहवासी तमाम रसूखदारी व दवाब के वावजूद अपना आक्रोश खुलकर दर्ज कराने की कवायद शुरू चुके है।इस आलम का फायदा उठाने के लिए लंबे अरसे से विज्ञप्ति व शिकायतों में अपनी सियासत व प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका निर्वहन करनें वाली सूरजपुर भाजपा इकाई द्वारा चंद दिनों पहले एक कमेटी गठित कर रेत घाटों पर प्रर्यावरण पर पड़ रहे दुष्प्रभाव से परेशान ग्रामीणों के हितों पर चिंता जाहिर करनें वाली दावे करते हुए ग्रामीणो के विरोध प्रदर्शन में शामिल होकर अपनी सियासत व उपस्थिति दर्ज कराकर फिर से खामोश रूख अख्तियार कर लिया है।वहीं आमजनों के प्रति जवाबदेह जिला प्रशासन के अधिकारियों व खनिज विभाग के द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से रेत घाट संचालन करनें के लिए ठेकेदार बतौर कार्यरत राजनीतिक व पूंजीपति रसूखदारो
के मनमानी से जुड़ी तमाम कार्यशैली पर सबकुछ जानकर भी अनजान मुद्दा में प्रतित हो रही है।अगर रहवासी आक्रोश व शिकायत दर्ज कराने की कलायद करना चाहें तो भी राजनीतिक रसूखदारी व लठैत पद्धति से रेत घाटों से नियम कायदों को ताक पर रखकर संचालित करनें वालें लोगों के द्वारा मामले पर तमाम युक्तियों का उपयोग करने में तो प्रशासनिक अमला शिकायत व विरोध प्रदर्शन के दरम्यान जांच करनें और कार्यवाही करने का आश्वासन देकर जस का तस हाल में छोड़ दिया है।इसके वजह से बुलंद हौसले के साथ तथाकथित रेत ठेकेदार अपने लठैतों के माध्यम से स्थानीय रेत परिवहन पर रायल्टी के नाम से तय राशि से दुगुना राशि वसूली करने के साथ ही बड़े मालवाहक वाहनों में क्षमता से दोगुना रेत लोडकर पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश में रेत आपूर्ति कार्य में जुटे हुए जारी है।

अवैध रेत उत्खनन कर नदी में भंडारण किया हुआ

अवैध खनन करते हुए

लगाया जुगाड़ रेत भंडारण के नाम पर लेकिन वह भी संदेश के आलम में

जिले में होने वाली अवैध रेत खनन व परिवहन से संबंधित मामलें तूल पकड़ने पर खुद के साथ ही राजनीतिक संरक्षण में चल रहे खेल पर पर्दा डालने कि जुगत में कुछ स्थानों पर पूर्व से रेत भंडारण केंद्र बताकर खुले में रेत संग्रहण करनें से उड़ती धूल से उपजाऊ खेतों के साथ ही स्थानीय लोगों के घरों के दिवालों व छप्पर पर जमा होने से दोहरी परेशानी का सबब बन रही है।जबकी रेत संग्रहण केंद्र बतौर अनुज्ञप्ति प्राप्त करने के दिशानिर्देशों के ठीक विपरीत कार्यशैली पर ना तो कभी खनिज महकमा हो या मैदानी अमले में शामिल जिला प्रशासन के अधिकारियों को अबतक नजर में नहीं आना खुद ही हाल व हालात बयां कर रहे है।

एक और पहलू पर करें गौर,रेत खनन व संग्रहण कार्य में एक अहम पहलू यह भी है कि

रेत खनन व परिवहन कार्य में वन हो या राजस्व विभाग की भूमि से बगैर किसी अनुमति के उपयोग कर रहे हैं। इसके अलावा स्थानीय स्तर पर होने वाले निजी हो या शासकीय व अन्य माध्यमों से होने वाले निर्माण कार्यो में रेत का दाम पूर्व कि तूलना में दोगुना से अधिक बढने से परेशान आमजन द्वारा निर्माण कार्य मजबूरी में बंद कर दिया है। बहरहाल कार्रवाई के नाम पर महज कोरम पूर्ति कर कागजी आंकड़े बढ़ाने का काम किया जा रहा है। छुट-पुट वाहनों को पकड़कर विभागीय अमला अपना लक्ष्य पूरा करने की कवायद करता नजर आ रहा है। जबकि धड़ल्ले से नदियों का सीना छलनी कर उत्खनन व परिवहन के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं,तो जिम्मेदारों ने चुप्पी साध रखी है।

ग्रामीण सड़कों को किया बदहाल,विवाद व रंजिश बढाने का भी बना कारक

बहरहाल रेत खनन व परिवहन कार्य में जहां बड़े स्तर पर ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्य मार्गो से जोड़ने वाली सड़क जिसपर अधिकतम 12 टन क्षमता परिवहन करना चाहिए उसपर 25 से 30 टन होने से सड़क खस्ताहाल होने लगे हैं, वहीं दूसरा बड़ा प्रभाव बतौर आपसी रंजिश व अपराधिक घटनाओं की वजह भी बनकर उभर तो रही है लेकिन मामला दर्ज नहीं होने से इसपर कुछ समय तक रोका तो जा सकता है लेकिन इसपर गंभीरता से नहीं लिया गया तो जिले में फिर से बड़ी घटना या आपराधीक मामले घटित होने से नकारा नहीं जा सकता है।

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