पति पत्नी ने मिलकर मैनपाट के आधी जंगल को किया तबाह,,, रेंजर फेकू चौबे बने धृतराष्ट्र,,, कार्यवाही का नही है दम या मिल रही हैं मोटी रकम ??

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प्रशान्त कुमार पाण्डेय

मैनपाट हिंद स्वराष्ट्र (समाचार पत्र) मैनपाट के जंगलों में अब जंगल ही नही बचे है और यह सब नतीजा है वन विभाग के निरंतर वन बचाव के प्रयास और कढ़ी मेहनत का। मामला वन विभाग के सपनादार क्षेत्र का है जहां वन विभाग ने पूरी तरह से अपनी आंख बंद कर ली है, यहां कागजों में कार्यवाही की बात कही जाती है लेकिन जब हिंद स्वराष्ट्र की टीम जमीनी स्तर पर पहुंची तो वहां हकीकत कुछ और ही निकली।

पूरे जंगल में अवैध अतिक्रमण लेकिन धृतराष्ट्र बना वन विभाग

जब हम अपनी टीम के साथ मैनपाट के जंगलों में पहुंचे तो वहां कदम कदम पर अवैध अतिक्रमण और लोगों द्वारा पेड़ों की अवैध कटाई के प्रमाण हाथ लगे। अवैध अतिक्रमण करने वालों को वन विभाग की टीम का अंश मात्र भी भय नहीं है यही वजह हैं की बीच जंगल में जगह जगह पर फसल उगाई गई हैं, अवैध रूप से जंगल के बीचों बीच घर बनाए गए हैं।

वन विभाग की मिलीभगत के बिना संभव इतने बड़े स्तर पर अवैध अतिक्रमण
जंगलों के हालात बेहद खराब है जंगलों में पेड़ और जंगली जानवरों के अलावा सब देखने को मिल जायेगा लेकिन जंगल नही। फेकू चौबे रेंजर को इस बात का समय नही है की वो स्वयं जाकर इन अवैध अतिक्रमण करने वालों पर कानूनी कार्यवाही कर सकें, केवल आश्वाशन देने और कागजों पर कार्यवाही करने के अलावा और कुछ नही कर रहे हैं। जमीनी हकीकत सुनी सुनाई बातों से बहुत ही अलग है जंगल पूरी तरह से साफ हो चुकी है जब अंदर जंगलों में हम और हमारी टीम गई तब हमने वहां पाया कि लोग अवैध अतिक्रमण कर वहां खेती कर रहे हैं अवैध रूप से जंगल के बीचो बीच अपना घर बना कर रह रहे हैं और इस बात की सूचना फॉरेस्ट को होते हुए भी करवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है, पर कार्रवाई केवल कागजों पर ही सीमित रह गई है।


ऐसा संभव ही नहीं है की वन विभाग की टीम कार्रवाई नहीं कर सकती बल्कि यहां कि हालात देखकर ऐसा लगता है कि वन विभाग या तो इतनी लाचार हो गई है कि वह कार्रवाई नहीं कर सकती या फिर रेंजर एसडीओ, डीएफओ और सीसीएफ को सम्मानजनक हिस्सा मिल रहा होगा जिससे वे सभी अपना मुंह बंद कर मूक दर्शक की भूमिका निभा रहे हैं।


प्रेम और ज्योति ने जंगल काटकर किया अवैध अतिक्रमण कार्यवाही करने के नाम पर वन विभाग के फूले हांथ पैर

ज्योति मिंज पति प्रेम मिंज दोनो पति पत्नी ने मिलकर जंगलों को अवैध कटाई और उसके बाद वहां धड़ल्ले से अवैध अतिक्रमण विगत कई सालों से कर रहे हैं लेकिन रेंजर फेकू चौबे की लाचारी उन्हें बढ़ावा दे रही है या हो सकता है की फेकू चौबे को इन पति– पत्नी से सम्मानजनक हिस्सा मिल रहा होगा जिसके चलते रेंजर फेकू चौबे मुंह में दही जमाए बैठे हैं।

फेकू चौबे घुशखोर या निकम्मे ?
रेंजर फेकू चौबे अगर अपनी ड्यूटी सही तरीके से करते तो केवल कुछ पेड़ कट सकते थे उससे जादा और कुछ नही होता लेकिन जिस प्रकार से हिंद स्वराष्ट्र की टीम ने जंगल के बीचों बीच अवैध घर फसल पेड़ों की कटाई पेड़ों की गटरिंग देखी उससे साफ जाहिर है की फेकू चौबे केवल फेकने में व्यस्त हैं कार्यवाही करने में जीरो।
अगर रेंजर फेकू चौबे साहब कार्यवाही करते तो लोग बीच जंगल में घर बनाने का साहस नहीं करते।

जो पेड़ कटते मिले उसको मारो बाकी मैं देख लूंगा फेकू चौबे

वनरक्षक समिति के लोग जब रेंजर फेकू चौबे के पास वनों की कटाई की शिकायत लेकर जाते हैं तो फिर क्यों चौबे द्वारा उन्हें कहा जाता है की हम लोग बाहर के हैं दो चार साल हमें यहां रहना है आप लोग यही के लोकल हैं जो पेड़ काटे दिखे उसे पेलिए मारिए दौड़ा-दौड़ा कर मारिए बाकी जो कुछ होगा मैं देख लूंगा एक रेंजर द्वारा इस प्रकार से कहना कि जो पेड़ काटे उसे दौड़ा-दौड़ा कर मारो मैं देख लूंगा बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। एक पढ़े-लिखे रेंजर द्वारा इस प्रकार की बात कहना अपने पद और पद की मर्यादा का अपमान करना है क्योंकि अगर गांव वाले पेड़ काटने वालों को मारते पीटते हैं और इस दौरान किसी की मृत्यु हो जाती है तो क्या फेकू चौबे इस बात की भी गारंटी लेंगे क्या वह कोई न्यायालय है या न्यायाधीश है? जो कार्यवाही रेंजर होने के नाते उन्हें करनी चाहिए वह तो उनसे हो नहीं रही है इसके विपरीत रेंजर फेकू चौबे रक्षक समिति के लोगों को यह सलाह दे रहे हैं कि वह पेड़ काटने वालों को मारे पिटे। जंगल लगभग लगभग पूरी तरह से साफ हो चुकी है, जंगल में अवैध अतिक्रमण कर लोग अपना घर बना रहे हैं वहां खेती कर रहे हैं पेड़ों की कटाई कर रहे हैं तथा पेड़ों को आधा-आधा काट कर छोड़ रहे हैं जिससे धीरे-धीरे वह पेड़ मर जाते हैं गर्मी के दिनों में आग लगा दी जाती है जंगल में जिससे जंगल का एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो जाता है और उसी स्थान पर जेसीबी के द्वारा कार्य करा कर उसे खेतों में परिवर्तित किया जाता है। वनरक्षक समिति के लोगों ने बताया कि जिस स्थान पर 1 वर्ष पहले घनघोर जंगल हुआ करते थे वहां आज फसल उगाई जा रही है और जब इसकी शिकायत वन विभाग से की जाती है तो कार्यवाही के नाम केवल आश्वासन दिया जाता है और जमीनी स्तर पर हकीकत इसके विपरीत पेड़ों की कटाई और अवैध अतिक्रमण हो रहा है। छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाट कि इतनी दुर्दशा की जा रही है की कुछ वर्षों में मैनपाट जंगल विहीन हो जाएगा और इसकी जिम्मेदारी मैनपाट रेंजर फेकू चौबे, डीएफओ सरगुजा पंकज कमल, सीसीएफ और पीसीसीएफ की होगी।
प्रेम मिंज और ज्योति मिंज अकेले ही पूरे जंगल को उजाड़ रहे हैं

वन रक्षक समिति द्वारा हिंद स्वराष्ट्र की टीम को बताया गया कि प्रेम मिंज और ज्योति मिंज द्वारा ही पूरे जंगल में अवैध अतिक्रमण और पेड़ों की कटाई की जा रही है जब उन्हें इस काम के लिए रोका जाता है तो प्रेम मिंज की पत्नी ज्योति द्वारा वनरक्षक समिति के सदस्यों को गालियां दी जाती है और झूठे केस में फसाने की धमकी दी जाती हैं। साथ ही ज्योति का कहना हैं की उसकी पहुंच उच्च स्तरीय मंत्री तक है। यहां तक कि ज्योति द्वारा अधिकारियों को भी पैसे देकर खरीदने की कोशिश की जाती हैं।

ऐसे में इतने बड़े स्तर पर जंगल में अवैध अतिक्रमण को देखते हुए ऐसा लगता है कि इस कार्य में हो सकता है किसी बड़े मंत्री का समर्थन इन्हें प्राप्त हो शायद यही कारण है कि फेकू चौबे द्वारा इनके ऊपर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
वन विभाग के पैकरा दरोगा ने वन रक्षक समिति को हिंद स्वराष्ट्र की टीम को अपना भेद खुलने के डर से जंगल दिखाने से किया मना वन विभाग के दरोगा पैकरा ने वन रक्षक के सदस्य को फोन करके जंगलों के ताजा हालात दिखाने से यह कहकर मना किया कि हो गया हम कार्यवाही करेंगे ये सब हमारे आपस की बात है इसमें मीडिया वालों को जंगल में ले जाने की जरूरत नही है,लेकिन पैकरा जी यह भूल गए की वन रक्षक समिति के लोगों को वो अब कार्यवाही के नाम पर बेवकूफ नही बना सकते और हुआ भी ऐसा ही वन रक्षक समिति के लोगों ने हमे उन जगहों को भी दिखाया जहां लीपापोती करने भी दरोगा साहब नही पहुंचते। आखिर क्या डर है दरोगा को की वो हमारे जंगल देखने से इतना दर रहे है? हिंद स्वराष्ट्र सच की आवाज है और हम उचित कार्यवाही नहीं किए जाने तक इस मामले में और भी तथ्यों को उजागर करते रहेंगे।

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