अम्बिकापुर :– स्वास्थ्य कर्मचारियों की लापरवाही के कारण मेडिकल कॉलेज अस्पताल की व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। इसका खामियाजा मरीज व उनके परिजन को भुगतना पड़ रहा है। शनिवार की अल सुबह 3.30 बजे से लेकर 6.45 बजे तक मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एमसीएच भवन स्थित एसएनसीयू में भर्ती 4 नवजात बच्चों की मौत हो गई है। 4 घंटे के अंदर 4 नवजात बच्चों की मौत होने से परिजन आक्रोशित हो गए। परिजनों ने सुबह एमसीएच के सामने स्थित मुख्य सड़क पर चक्काजाम कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। लगभग 2 घंटे से ज्यादा समय तक चक्काजाम रहा। परिजन स्वास्थ्य मंत्री को बुलाने को बात पर अड़े हुए थे।
सूचना पर सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल प्रसाद व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जेके रेलवानी ने अस्पताल पहुंचकर परिजनों को समझाइश दी और अस्पताल में व्याप्त समस्याओं को जल्द से जल्द दूर करने का आश्वासन दिया। आश्वासन के बाद परिजन चक्काजाम को समाप्त किया। हालांकि नवजात की मौत के मामले में शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जेके रेलवानी का कहना है कि सभी बच्चे प्री-मेच्योर थे।
गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल स्थित एमसीएच भवन में काफी अव्यवस्था का आलम है। पीने के पानी से लेकर शौचालय तक की परेशानी बनी हुई है। ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था नहीं होने के कारण शौचालय आए दिन जाम रहता है। इसका खामियाजा मरीज व उनके परिजनों को भुगतना पड़ता है।
इसी बीच 16 अक्टूबर की सुबह 4 घंटे के अंदर 4 नवजात बच्चों की मौत हो जाने से अस्पताल (Medical College Hospital Ambikapur) में मौजूद परिजन आक्रोशित हो गए। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में सही समय पर इलाज उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। स्टाफ नर्स से बात करने पर सही से जवाब तक नहीं देते हैं।
आवश्यकता पड़ने पर मरीज के परिजन स्टाफ नर्स के पास समस्या लेकर जाते हैं तो उन्हें भगा दिया जाता है, साथ ही गुस्से में कहतीं हैं कि अगर सुविधाजनक उपचार चाहिए था तो सरकारी अस्पताल में क्यों लाए थे। इस तरह के दुर्व्यवहार से परिजन नाराज थे और बच्चों की मौत के बाद अस्पताल के सामने चक्काजाम कर दिया।
‘प्राइवेट अस्पताल में ले जाओ, यहां क्यों लाए हो’
चक्काजाम के दौरान रघुनाथपुर निवासी महेश जायसवाल ने कहा कि यहां स्टाफ नर्स द्वारा कहा जाता है कि यहां क्यों आए हो, प्राइवेट अस्पताल में ले जाओ। उसने रोते हुए कहा कि मुझे बिचौलिए द्वारा 10 हजार रुपए में पूरा इलाज हो जाएगा, कहने पर मैंने बच्चे को निजी अस्पताल में भर्ती कराया था।
फिर घर की गाड़ी बेच कर 40 हजार रुपए निजी अस्पताल में इलाज का खर्च भरा। इसके बाद परेशान होकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया तो यहां भी वही हाल है। मेरा बच्चा अभी भी स्वस्थ नहीं है। अस्पताल में काफी अव्यवस्था है।