छेड़छाड़ करने के बावजूद एडिशनल एसपी एवं अलरिक लकड़ा के चहेते शराबी आरक्षक पर नहीं हो रही कार्रवाई। विभागीय मामला बताकर कर रहे लीपापोती।

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अम्बिकापुर प्रशान्त पाण्डेय अंबिकापुर के शनि मंदिर के पास नशे में धुत एक आरक्षक द्वारा बुधवार की रात करीब 11:00 बजे दो लड़कियों से नशे की हालत में छेड़छाड़ की घटना को अंजाम दिया गया। जब स्थानीय लोगों ने आरक्षक को लड़कियों से बदतमीजी करते हुए देखा तो उन्होंने इसका विरोध किया जिस पर आरक्षक शिव कुमार कुर्रे द्वारा अपने पुलिस होने तथा पुलिस की वर्दी का रौब दिखाकर लोगों को डराने की कोशिश करने लगा। काफी देर तक आरक्षक शिव कुमार कुर्रे उक्त स्थान पर अभद्रता पूर्वक व्यवहार करता रहा जिसकी सूचना गांधीनगर पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची गांधीनगर पुलिस ने शराबी आरक्षक को गिरफ्तार किया तथा उसका मेडिकल जांच कराया गया जिस पर मद्यपान(शराब पीने) की पुष्टि की गई,इसके बाद भी पुलिस द्वारा अपने शराबी नशेड़ी आरक्षक पर किसी भी प्रकार का अपराध पंजीबद्ध नहीं किया गया।

विभागीय मामला है जांच के बाद होगी कार्यवाही:– विवेक शुक्ला

शिव कुमार कुर्रे अगर पुलिस वाला नही होता तो क्या फिर भी एडिशनल एसपी का यही बयान होता,क्या किसी लड़की से छेड़छाड़ हो या फिर रेप,मर्डर,चोरी डकैती सारी चीजें हों तो भी यह विभागीय मामला होगा यह सोचने का विषय है लेकिन इतना तय है की अगर यह दुसाहस किसी आम आदमी ने की होती तो वह निश्चित रूप से जेल में होता तो।

क्या पुलिस वालों को कुछ भी करने की अनुमति है…?क्या पुलिस वालों पर कुछ भी करने पे कार्यवाही नही होगी? या फिर कानून उन्हे किसी महिला के साथ अभद्रता करने की अनुमति है?। विवेक शुक्ला एडिशनल एसपी की बातों से प्रतीत होता है की सारी दुनिया के लिए कानून एक तरफ और पुलिस वालों के लिए कानून एक तरफ।

आम आदमी होता तो जेल में होता

अपने विभाग के कर्मचारी को बचाने के लिए पुलिस के टी आई से लेकर ए एस पी तक लग है और यदि ये कुकृत्य किसी आम नागरिक ने की होती तो उसे पकड़कर प्रेस विज्ञप्ति बनवाकर अपनी वाह वाही लूट रहे होते लेकिन मामला पुलिस विभाग का है इस लिए मामले को दबाया जा रहा हैं।

पुलिस विभाग को मिलती है फ्री हिट ?

सरगुजा पुलिस के रवैया को देख कर लगता है की पुलिस विभाग अपने कर्मचारियों को गलती करने पर क्षमा धर्म का पालन करता है चूंकि कर्मचारी विभागीय होते हैं तो उन्हें सजा देना उचित नहीं समझा जाता। क्या पुलिस होने का मतलब किसी लड़की से छेड़छाड़ करने की छूट मिल जाती है। अब देखना है की पुलिस अपने शराबी आरक्षक को बचाती है या उस पर कोई कार्रवाई करती है।

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