क्या कैग की रिपोर्ट सरकार की असफलता का प्रमाण : अभिषेक शर्मा

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अंबिकापुर :– भारतीय जनता पार्टी आर्थिक प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक श्री राजेश अग्रवाल जी के निर्देशन में आर्थिक प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक एवं जिला सह कोषाध्यक्ष भाजपा सरगुजा श्री अभिषेक शर्मा अधिवक्ता टैक्स ने कैग की रिपोर्ट के आधार पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि
बड़ी निराशा की बात है राज्य सरकार के प्रवक्ता व् सीनियर मंत्री श्री रवीन्द्र चौबे जी ने कैग के रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए यह कहा की राज्य की आय में कमी का कारण कोरोना है ।
जबकि यह रिपोर्ट कोरोना के पहले के आकडे बता रही है यह रिपोर्ट वर्ष 31.03.2020 तक की स्थिति बताती है कोरोना का पहला केस छत्तीसगढ़ में मार्च 2020 में आया था ।
सरकार की ऐसी बयानबाज़ी से क्या अंदाज़ा लगाया जा सकता है
कैग द्वारा प्रस्तुत यह रिपोर्ट राज्य की कांग्रेस सरकार द्वारा की गयी वित्तीय अनियमिताओ का जीता जागता प्रमाण प्रस्तुत कर रही है और यह संकेत करती है की छत्तीसगढ़ दिवालिया होने की दिशा में कदम रख चुका है
बजट की राशि खर्च व् सरेंडर न कर पाना , 36 में से 24 वादे पूरा करने का झूठा दावा करने वाली,विकास के बड़े बड़े झूठे दावे करने वाली ,हर मामले में खुद को बेहतर बताने वाली कांग्रेस सरकार ने राज्य के बजट में से 21,334.80 करोड़ रु. खर्च ही नही कर सकी और तो और इसमें से 1527.05 करोड़ न खर्च किये ,न सरेंडर किये यह राशि लैप्स हो गयी.
किसी एक विभाग में पैसो को इस्तेमाल न हो तो समय पर इसे सरेंडर करने से जरुरत के आधार पर इसे उपयोग किया जा सकता है परन्तु सरकार इस मामले में पूरी तरह फेल रही.

सरकार रेवेन्यु डेफिसिट में जो आज तक कभी नही हुआ
छत्तीसगढ़ बंनने के यह पहली बार हुआ है की राज्य 9,608.61 करोड़ रु के राजस्व घाटे में रहा है
इससे पहले भाजपा सरकार में प्रदेश वर्ष 15-16 में 2,366.65 करोड़ वर्ष 16-17 में 5,520,.65 करोड़ 17-18 में 3,417.32 करोड़ के रेवेन्यु सरप्लस में रहा लेकिन इस सरकार ने आते ही घाटे का रिकॉर्ड कायम कर लिया.
उल्लेखनीय है कि राजस्व व्यय , अगर राजस्व आय से बढ़ जाये तो उससे होने वाले घाटे को राजस्व घाटा कहा जाता है.
फिश्कल डेफिसिट (वित्तीय घाटे ने सारी सीमाए पार की )
राज्य ने अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा वितीय घाटा दर्ज किया है वर्ष 19-20 में वित्तीय घाटा 17,969.55 करोड़ हुआ है एफआरबीएम एक्ट के हिसाब से यह राज्य की जीएसडीपी का 3.5% से ज्यादा नही होना चाहिए लेकिन यह 5.46% तक जा पंहुचा है
इससे पहले भाजपा सरकार में वित्तीय घाटा वर्ष 15-16 में 4573.71(2.03%) करोड़ वर्ष
16-17 में 4047.27 करोड़(1.61%) 17-18 में 6810.32(2.73%) करोड़ मात्र रहा व् कभी भी तय सीमाओ से बाहर नही गया.
पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 19-20 में राज्य की राजस्व आय बढने की बजाय 1226.23 करोड़ रु घटी है जबकि राजस्व व्यय 9066.14 करोड़ बढ़ा है जो की प्रदेश की आर्थिक बदहाली को बताने काफी है
किसी भी प्रदेश के विकास के लिए पुजीगत व्यय करना अति आवश्यक है आश्चर्य की बात है विकास के दावे करने वाली सरकार इस मामले में भी फिस्सडी साबित हुई है पिछले दो वर्षो में पूंजीगत व्यय में 1098 करोड़ व् 337 करोड़ की कमी देखी गयी है वर्ष 2019-20 में मात्र 8,622 करोड़ का पूजीगत व्यय किया गया था जोकि अनुमानित किये जाने वाले खर्च से 30% कम है
सरकार द्वारा निवेश करने में रिटर्न व् कर्ज लेने की लागत में अंतर बढ़ा
सरकार ने कुल 7265.79 करोड़ निवेश किये जिसमे रिटर्न मात्र .03% रहा जबकि कर्ज लेने पर औसत खर्चा 6.83 % रहा.
नकद राशि का उपयोग न कर सकी सरकार
एक तरफ राज्य ने ब्याज के तौर पर हजारो करोड़ का भुगतान किया वही सरकार के पास कैश बैलेंस 11,396, करोड़ पड़ा रहा,इसका मतलब निकाला जा सकता है की आपके घर में पैसे है लेकिन आप बैंक से लोन लेके ब्याज भर के दिवालिया होने की इच्छा रखते है यह सरकार के बेहद ख़राब वित्तीय प्रबन्धन की कहानी बयान करता है.
बिना अनुमति के खर्चा
केवल वर्ष 19-20 में राज्य सरकार ने 6682.69 करोड़ स्टेट लेजिस्लेचर की अनुमति से ज्यादा खर्च किया जबकि वर्ष 2000 से 2019 तक इस प्रकार के खर्चो का कुल योग 3261.83 करोड़ है अधूरे काम अधूरे रहने से उनकी लागत बदने से बढ़ा नुक्सान
ऐसे 145 प्रोजेक्ट है जिन्हें वर्ष 2020 तक पूर्ण किया जाना था परन्तु राज्य सरकार पूर्ण न कर सकी
51 प्रोजेक्ट्स की बड़ी हुई अनुमानित लागत 2,496.7 करोड़ है
अपूर्ण प्रोजेक्ट्स पर कोई काम न करने से छत्तीसगढ़ सरकार को हजारो करोड़ रु ली अतिरिक्त लागत लगेगी जो प्रदेश की जनता की खून पसीने की कमाई को पानी में बहाने जैसा है
आप सभी भी महसुसू करते होंगे जो काम 2.5 वर्ष पहले जिन हालात में था अब भी उन्ही हालात में है
क्या किसी राज्य के लिए कर्ज लेने की कोई सीमा होती है हां होती है अगर न हो तो शायद हर प्रदेश दिवालिया हो जाये इसीलिए ही एफआरबीएम एक्ट कर्ज लेने की सीमाए तय करता है
वह सीमा है अधिकतम राज्य की जीएसडीपी का 21.23 %
परन्तु हर नकारात्मक रिकॉर्ड ब्रेक करने वाली छत्तीसगढ़ सरकार यह रिकॉर्ड भी कैसे न बनाती.राज्य ने इस सीमा को पार करते हुए वर्ष 2020 तक राज्य की जीएसडीपी का 23.91% कर्ज लिया है यानी लगभग 24%.
मार्च 2020 को सरकार का कर्ज व् अन्य देनदारिया कुल 78,712 करोड़ है जिसमे बाज़ार से लिया ऋण 60,382.67 करोड़ है
इससे पहले भाजपा सरकार में कर्ज जीएसडीपी के अनुपात में वर्ष 15-16 में 16.76% वर्ष 16-17 में 17.64 % 17-18 19.31% रहा जोकि तय सीमाओ से बहुत कम है।
वर्ष 2019-20 में सरकार ने पिछले वर्ष के मुकाबले 1317.78 करोड़ ज्यादा चुकाया. कुल ब्याज 4,970.33 करोड़ पटाया. बढते कर्ज की वजह से सरकार को अब विकास के कार्यो में खर्च होने वाली राशि ब्याज के रूप में चुकानी होगी जिससे विकास पूरी तरफ बाधित होगा. पब्लिक डेब्ट के भुगतान में 658.8% की वृद्धि हुई है ।
जैसे देश के विकास का सूचक जीडीपी होता है वैसे ही प्रदेश के विकास का सूचक जीएसडीपी होता है पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2019-20 में जीएसडीपी की ग्रोथ में 2.69 % की गिरावट दर्ज की गयी है।
वर्ष 2018-19 में ग्रोथ रेट 10.95 % था जो 19-20 में 8.26% रह गया।
यह आकड़ा बताता है प्रदेश विकास के मामले में रिवर्स गियर पर है आर्थिक खुशहाली के सरकार के दावे खोखले है।

भाजपा सरकार में जीएसडीपी ग्रोथ रेट

वर्ष 2016-17 में जीएसडीपी 11.42% ,2017-18 में 9.23%, 2018-19 में 10.95% रहा. ।
राजस्व आय का 53 फीसदी केंद्र से 47 फीसदी राज्य का
राज्य सरकार लगातार केंद्र पर पैसे न देने के झूठे आरोप लगाती है वर्ष 2019-20 में राज्य की कुल राजस्व आय 63,868.70 करोड़ है जिसमे से 53% यानी 33,817.08 करोड़ केद्र से दिया गया है केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली ग्रांट में भी पिछले वर्ष के मुकाबले वर्ष 19-20 लगभग 9 फीसदी की वृद्धि हुई है

छत्तीसगढ़ के खतरे की लाइन पार की

किसी भी राज्य के लिए चिंता का विषय होता है जब उसकी कुल देनदारिया उसकी राजस्व आय से बढ़ जाए छत्तीसगढ़ में राजस्व आय 63,868.7 करोड़ है जबकि कुल देनदारिया 78,712 करोड़ है।

सरकार की आय की ग्रोथ में 8% की कमी

वर्ष 19-20 में सरकार का अपना रेवेन्यु ग्रोथ मात्र 3.16% रहा जबकि पिछले तीन वर्षो में यह 10.43%, 6.58% 11.04% रहा.

केंद्र द्वारा जीएसटी का भुगतान, राज्य द्वारा कैग को जीएसटी पोर्टल का एक्सेस न देना

केंद्र ने वर्ष 19-20 में 7894.82 करोड़ स्टेट जीएसटी व् 3081.44 करोड़ कम्पंशेशन दिया.बड़ी बात है वर्ष 19-20 की रिपोर्ट बनाने के दौरान राज्य सरकार ने कैग के आग्रह के बावजूद स्टेट पोर्टल ला एक्सेस नही दिया.जून 2020 में केंद्र ने सभी राज्यों को एक्सेस देने कहा था जिसे राज्य सरकार ने नही माना।

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