गंगापुर शराब दुकान के पास वर्षों से संचालित है अवैध चखना दुकान, आबकारी को मिलती है मोटी रकम या नहीं है उनमें कार्रवाई का दम

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प्रशांत पाण्डेय
अंबिकापुर
स्थित गंगापुर शराब दुकान शराब दुकान के पास वर्षों से अवैध चखना दुकान संचालित है जिसपर आबकारी विभाग की नजर नहीं पड़ रही है या वे अपनी आंखों पर नोटो की पट्टी बांधे पड़े हुए हैं। गंगापुर शराब दुकान के पास एक नही ऐसे कई अवैध चखना दुकान संचालित हैं जिनपर आबकारी विभाग अपनी मौन सहमति बनाए हुए है और इन अवैध चखना दुकान पर कार्यवाही करने का दम आबकारी विभाग के पास नही है।

क्या आबकारी को मिलती है मोटी रकम या करवाही का नही है दम। ?

यह काफी गंभीर विषय है की शराब दुकान के बगल में ही शराबी चखना दुकान में शराब पीते रहते है और उनपर आबकारी इतना महरबान है की कोई करवाही नही कर रही है।ऐसा भी हो सकता है की अवैध चखना दुकान वालों द्वारा आबकारी को इतनी मोटी रकम मिल रही होगी जिसके भार से आबकारी के आला अधिकारी अपनी कुर्सी से उठ नही पा रहे हैं या अवैध चखना दुकान वाले इतने पावरफुल हैं जिनके डर से आबकारी के हांथ पर कांप रहे हैं जो आबकारी कुछ नही कर पा रही है।खैर मामला जो भी हो इसके पीछे थी दो कारण जरूर होंगे जो आबकारी के आला अधिकारी अवैध चखना दुकान वालों पर कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही है।

बगल में ही है रोजगार पंजीयन कार्यालय
बगल में ही रोजगार पंजीयन कार्यालय है और वहां प्रतिदिन छात्र छात्राएं अपना रोजगार पंजीयन कराने आती हैं,रोजगार पंजीयन कार्यालय में छात्राएं अपना पंजीयन कराने आती हैं जिनपर अवैध चखना दुकान में बैठे शराबियों एवं चखना दुकान वालों द्वारा अभद्र कमेंट किए जाते हैं जिससे लड़कियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है,परंतु मजबूरी में छात्राओ को इन सब चीजों कों साहना पड़ता हैं,लेकिन सोचने वाली बात ये है की एक तरफ जहां हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ देश की बेटियां बेटियां माता का रूप ऐसे शब्दों का प्रयोग करते हैं और उसी देश में देश की बेटियों के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है जिस पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है यह सरासर निंदनीय है,

क्या आबकारी के आला अधिकारी अपने ही शराब के नशे में चूर है
यह सोचने का विषय है कि अब कारी के आला अधिकारी अपने ही विभाग के शराब पीकर इतने नशे में है कि उन्हें इस प्रकार से चल रहे अवैध चखना दुकान नजर नहीं आते या उन में इतना दम नहीं है कि वह कोई कार्यवाही कर सके या फिर उनकी जेब चकना दुकान के चखने से भरी हुई है।
आबकारी विभाग के अधिकारी धर्मेंद्र शुक्ला को जब हमने इस संबंध में सूचना देने की कोशिश की तो कर्तव्यनिष्ठ और कानून के पुजारी श्री शुक्ला जी अपनी विभाग में नहीं मिले परंतु हमारे द्वारा उन्हें सुबह से लेकर शाम तक फोन में संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कानून की इस पुजारी द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए उन्हें इतना भी समय नहीं मिला कि वह फोन उठाकर हमें जवाब दे सके, दूसरा पहलू यह भी कहता है की हो सकता है की अवैध चखने वालों से मिलने वाली मोटी रकम को गिनते गिनते श्री शुक्ला के हाथों में छाले पड़ गए हो अतः वह फोन नहीं उठा पाए होंगी खैर जो भी हो मामला गंभीर है।
अब देखने वाली बात तो यह होगी की आबकारी के आला अधिकारी अभी भी अपनी जेब भरने में लगे रहेंगे या फिर अवैध चखना दुकानों पर कोई कार्यवाही भी करेंगे ( लीपापोती कार्यवाही भी सामिल)

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