रामानुजगंज – रामानुजगंज स्वास्थ्य केंद्र में आपातकालीन डॉक्टर अक्सर नदारद रहते हैं। मामला ऐसा हो जाता है कि अस्पताल में मरीज की सुध लेने वाला कोई भी नहीं रहता रात में अस्पताल डॉक्टर विहीन हो जाता है। मिली जानकारी के अनुसार रामानुजगंज स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर जिनकी ड्यूटी इमरजेंसी सेवा के लिए लगाई जाती है वह अस्पताल से गायब हो चैन की नींद सोते रहते हैं और मरीज अस्पताल के चक्कर लगाते हुए एक एक कमरे में डॉक्टर को खोजने का प्रयास करता है लेकिन डॉक्टर साहब तो अस्पताल से नदारद रहते हैं और डॉक्टर के अलावा जिस स्टाफ की ड्यूटी अस्पताल में मरीजों की देखरेख के लिए लगाई जाती है वह स्टॉप अपने ड्यूटी से मुंह फेरते हुए अपने अस्पताल के अंदर ही शराब पीकर मदमस्त हो जाता है और इस कदर सो जाता है कि उसे दिन दुनिया से कोई मतलब ही नहीं रह जाती। ऐसा ही एक मामला रामानुजगंज स्वास्थ्य केंद्र में सुबह लगभग 3:30 बजे से 4:00 बजे के बीच देखने को मिला जहां पर अस्पताल में इलाज कराने आए मरीज डॉक्टर को खोजने के लिए अस्पताल के लगभग हर कमरे का चक्कर लगा लिया लेकिन डॉक्टर साहब अस्पताल में दिखे ही नहीं उसके बाद में मरीज उस रूम में जा पहुंचा जहां पर ड्यूटी के दौरान अस्पताल का स्टाफ शराब के नशे में कुंभकरण की नींद में सोता दिखा मिली जानकारी के अनुसार इसके द्वारा अक्सर अस्पताल में शराब पीकर ड्यूटी करने का मामला सामने आता है लेकिन विचारणीय बात यह है की इस तरह से मामले में किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने में बीएमओ सफल नहीं हो पाए हैं बता दें कि स्वास्थ्य केंद्र में अव्यवस्थाओं का आलम यह है की यहां पर डॉक्टर के साथ-साथ स्टाफ भी अपनी मनमानी करते दिखते हैं इन्हें अस्पताल से किसी भी प्रकार से कोई लेना देना नहीं है अधिकांश डॉक्टर सरकारी अस्पताल में ड्यूटी देने से ज्यादा अपने प्राइवेट क्लीनिक में समय देना ज्यादा फायदेमंद समझते हैं।
रात के समय अस्पताल में डॉक्टर का ड्यूटी में होने के बावजूद डाक्टर का अस्पताल में नहीं रहना मरीजों के जान के साथ खिलवाड़ है। ऐसे ही डॉक्टर है जो डॉक्टर शब्द को ही कलंकित करते हैं कहने को तो आम जनता डॉक्टर को भगवान मानती है लेकिन इस अस्पताल में डॉक्टर ड्यूटी करने से ज्यादा अपने घर में सोना पसंद करते हैं इस तरह के ढुलमुल रवैया से आम जनता इस अस्पताल में भरोसा करना ही छोड़ रही है।
मिली जानकारी के अनुसार अंबिकापुर से रामानुजगंज अपने घर आए हुए युवक के सिर में अचानक अत्यंत तेज दर्द उत्पन्न हो गया जिसके इलाज कराने के लिए उक्त युवक के द्वारा रामानुजगंज स्वास्थ्य केंद्र भोर में लगभग साढ़े 3:04 बजे पहुंचा लेकिन उस अस्पताल में डाक्टर मौजूद नहीं थे सिर दर्द से परेशान युवक अस्पताल का लगभग हर कमरे में जाकर डॉक्टर को खोजने का प्रयास किया लेकिन डॉक्टर साहब नहीं मिले अगर कोई मिला तो शराब के नशे में चूर अस्पताल का स्टाफ जिसे मरीज के द्वारा काफी मशक्कत करने के बाद भी उठाने में असफलता ही प्राप्त हुई उसके बाद बड़ी मुश्किल से ड्यूटी में तैनात नर्स के द्वारा उक्त युवक को दर्द का इंजेक्शन लगाया गया उसके बाद युवक जोकि सिर दर्द से परेशान था आगे के इलाज के लिए अस्पताल में एडमिट हो गया लेकिन सुबह नौ साढ़े नौ बजे तक भी डॉक्टर अस्पताल में उपस्थित नहीं हुए बड़ी मशक्कत के बाद युवक के द्वारा बीएमओ डॉ कैलाश कैवर्त को फोन किया गया लगभग 5 बार लगातार फोन करने के बाद डाक्टर साहब से बात हो पाई फिर डाक्टर साहब अस्पताल में पहुंचे लेकिन आपातकाल में ड्यूटी के समय अस्पताल से नदारत रह कर सोने वाले डाक्टर का अता पता नही चला।
बीएमओ से बात कराने बाद उन्होंने बताया की शराब के नशे में धुत हो कर सोने वाला स्टाफ दीप चंद राजवाड़े है एवम रात में आपातकाल के लिए जिनकी ड्यूटी लगाई गई थी वह डाक्टर हरेंद्र प्रजापति है।
जिस तरह से इस कोरोना काल में रामानुजगंज स्वास्थ केंद्र में लापरवाही का आलम हैं उससे यह समझा जा सकता है की इन सभी के ऐसे हरकतों पर लगाम लगाने एवं कार्यवाही करने में असमर्थ नजर आ रहे है या फिर यह कहा जा सकता है की बीएमओ की भी मौन स्वीकृति इन सबके ऊपर है । अब देखना यह है की जिले के नए नवेले कलेक्टर इस मामले को कितना गंभीरता से लेते है और मरीजों के स्वास्थ्य एवम जान से खिलवाड़ करने वाले इन बेपरवाह डाक्टर शराबी स्टाफ एवं लाचार बीएमओ पर क्या कार्यवाही करते है।
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