आचार्य डॉ अजय दीक्षित
कानपुर पुलिस का एक और बेशर्म चेहरा सामने आया है. दरअसल, एक विकलांग गरीब लाचार महिला की बेटी को एक महीने पहले कुछ लोग उठा ले गए, लेकिन पुलिस उसको ढूंढने के लिए इस मजबूर महिला से हर बार दो-ढाई हजार रुपये के डीजल भरवाती रही है।वृद्ध महिला ने पुलिस पर आरोप लगाया है की बेटी को ढूंढने के लिए पुलिस वालों ने मुझसे डीजल पेट्रोल के नाम पर 12 हजार रुपये ले लिये है । वृद्ध महिला ने बताया कि
भीख मांग कर किसी तरह पैसे जुटाये थे वह भी पुलिस वालों ने ले लिए इसके बाद भी बेटी को नहीं ढूंढा ।
डीआईजी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने युवती का पता लगाने के लिए सर्विलांस व अन्य टीमों को लगाया गया है। साथ ही पुलिसकर्मियों पर लगे आरोप की जांच कराई जा रही है।
हैरानी ये है इसके बावजूद न महिला की बेटी बरामद हुई, न कोई आरोपी पकड़ा गया. पुलिस के मुताबिक, गुड़िया की 15 साल की नाबालिग बेटी को एक महीने पहले ठाकुर नाम का व्यक्ति उठा ले गया था, जिसकी चकेरी पुलिस ने एफआईआर तो लिखी, लेकिन जांच करने वाली पुलिस उससे बेटी खोजने के नाम पर दो-ढाई हजार रुपये का डीजल जबरन भरवाती रही। सोचने वाली बात तो यह है कि जब सरकार से पुलिस विभाग को अपने कार्यों के लिए सभी प्रकार के राशि स्वीकृत किए जाते हैं ऐसे में एक गरीब और विकलांग महिला से पैसे की मांग करना मानवता को शर्मसार करता है साथ में ही पुलिस का एक ऐसा चेहरा समाज के सामने प्रस्तुत करता है जोकि बहुत ही निंदनीय है। ऐसे पुलिस वाले वर्दी को कलंकित तो करते ही हैं और साथ पुलिस विभाग का नाम लोगों के सामने बदनाम करते हैं।