प्रशान्त कुमार
सूरजपुर
एक ओर जहां डीजीपी साहब पुलिस कि छवि को आम जनता के सामने सुधारने और बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने पुलिसकर्मियों को आदेश जारी करते हुए कहा है कि आप लोगों के साथ किसी भी तरह का गलत व्यवहार ना करे। उनके सख्त आदेश भी हैं कि पुलिस द्वारा किसी भी प्रकार से आम जनता पर कोई भी अत्याचार किया जाता है तो उसके खिलाफ शख्त कार्यवाही की जाए। जबकि कुछ पुलिस वाले ही उनके आदेश की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं।
आवेदक का नहीं कराया गया मेडिकल जांच
एक मामला सामने आया है जो कि सूरजपुर का है जहां ग्राम पचिरा निवासी मनेश्वर कुर्रे को रास्ते में रोककर बाइक की चाबी छीन कर मारपीट की गई तथा जेब से 1500 रुपए भी छीन लिए गए, और यह सब करने वाले कोई गुंडा नहीं बल्कि सूरजपुर कोतवाली थाने का हेड कांस्टेबल अदिप प्रताप सिंह था। जब पीड़ित ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने कि कोशिश की गई तब उसकी बात किसी ने नहीं सुनी और तो और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरीश राठौर ने मेडिकल जांच करवाने से भी इंकार कर दिया और ना ही किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही कि गई है। क्या अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक साहब डीजीपी साहब के आदेश की अवहेलना नहीं कर रहे हैं? क्या किसी की पीड़ित के साथ उचित न्याय नहीं किया जाना चाहिए?
अपने विभागीय कर्मचारी को बचाने के लिए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक हरिश राठौर डीजीपी साहब के आदेश को साथ ही साथ भारतीय कानून को नजरंदाज कर रहे हैं जो बेहद निंदनीय है।
क्या कानून सिर्फ आम आदमी के लिए ही बने हैं और पुलिस उस कानून से परे हैं।
आम जनता के साथ पुलिस का ऐसा व्यवहार पुलिस प्रशाशन के प्रति आम जनता के विश्वास को तोड़ने वाला है।