हिंद स्वराष्ट्र जनकपुर गणेश तिवारी : वनमण्डल मनेन्द्रगढ़ के कुवारपुर परिक्षेत्र में वन विभाग के लापरवाही व मिलीभगत से बेशकीमती वनभूमि में लगातार अवैध कब्जा चरम पर है ग्रामीणों व जनप्रतिनिधयों के लिखित शिकायत के बावजूद वन विभाग के द्वारा किसी प्रकार अतिक्रमण हटाने की कोई कार्यवाही नही हो रही है। क्षेत्रवासी कुवारपुर वनपरिक्षेत्र के कर्मचारियो, अधिकारियो पर भारी भरकम राशि लेने के एवज में वनभूमि पर अतिक्रमण किये जाने का गम्भीर आरोप भी लगा रहे है।
उक्त सम्बन्ध में ज्ञात हो कि वनभूमि में कुछ माह से हो रहे लगातार बेतहाशा अवैध अतिक्रमण को लेकर वन विभाग के द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही देखने को नही मिला है सबसे बड़ी बात जनकपुर मुख्यालय जहाँ वनविभाग का अनुभाग व वनपरिक्षेत्र कुवारपुर, जनकपुर, बहरासी का कार्यालय स्थापित है व उच्च अधिकारी उपवनमण्डल भरतपुर व वनपरिक्षेत्र अधिकारी के उपस्थिति के बावजूद यहां के वनभूमि में बड़ी तेजी से अबैध कब्जा की बाढ़ आ गयी है कुवारपुर जनकपुर मुख्यालय के भगवानपुर मार्ग पर महज कुछ मीटर दूरी पर लगे जंगल क्षेत्र में लोगो का अवैध कब्जा बदस्तूर जारी है लेकिन वन अमले को जानकारी होने के बाद भी वन अमला व मुख्यालय में उपस्थित उच्च अधिकारी मौन क्यो है यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है जो वृहद अनियमितता की ओर इशारा कर रहा है ।
इसी तरह जनकपुर के मनेन्द्रगढ़ मार्ग व शहडोल मार्ग में भी लोगो ने जंगल भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया है। वनविभाग अमले की मिलीभगत से त्रस्त होकर क्षेत्र के ग्रामीणो व जनकपुर के पंच, सरपंच के द्वारा करीब दो वर्ष पूर्व जनकपुर के वनभूमि से अवैध कब्जे को हटाने को लेकर वनमण्डलाधिकारी मनेन्द्रगढ़ को लिखित आवेदन किया था लेकिन कोई कार्यवाही नही हुई परिणामस्वरूप जनकपुर मुख्यालय के चारो ओर वनभूमि पर अवैध कब्जा लगातार जारी है। ग्रमीणों का कहना है कि वनभूमि से अतिक्रमण नही हटाने पर जल्द ही आंदोलन व धरना प्रदर्शन की कार्यवाही किया जाएगा। जब हमारे द्वारा इस अवैध अतिक्रमण के सम्बंध में वन परिक्षेत्राधिकारी शिवप्रसाद ध्रुव से जानकारी चाही गई तो उनके द्वारा सन्तोषजनक जवाब नहीं दिया गया अब देखना होगा कि इस तरह के अवैध अतिक्रमण को रोकने में क्या विभाग सफल होता है ये फिर इसी तरह मौन स्वीकृत देता है। और आपको बता दें की रेंज में कई जगह अतिक्रमण किया जा रहा है लेकिन उन्हें सुध लेने वाला कोई नहीं है आला अधिकारियों से बात करने पर कहते हैं कि हमें कुछ पता नहीं तो फिर किस बात के अधिकारी है महोदय।