हिंद स्वराष्ट्र : आज कल होने वाली शादियों में कई नई नई रस्मों का जन्म हो रहा हैं जैसे मेंहदी रस्म, हल्दी रस्म और रिंग सेरेमनी और उनसे भी खतरनाक एक नवाबी चोचला हैं प्री वेडिंग शूट। इन रस्मों की शुरुवात तो अमीरों ने की लेकिन इन अमीरों के चक्कर में बेचारे गरीब पीस कर रह गए हैं। जहां एक गरीब पिता बमुश्किल शादी का खर्च उठा पाते हैं वही इन अमीरों के चोचलों का दंश गरीब माता पिता को भुगतना पड़ रहा हैं। इन मेंहदी रस्म, हल्दी रस्म और रिंग सेरेमनी जैसी रस्मों के दौरान हजारों रूपये खर्च कर के हर रस्म के अनुसार विशेष डेकोरेशन किया जाता है, मेंहदी हो तो उस दिन दूल्हा या दुल्हन हरे, हल्दी हो तो पीले कपड़े पहनते हैं यह हरा– पीला कांसेप्ट बस दूल्हा दुल्हन तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि पूरा परिवार मेहमान और नाते रिश्तेदार सभी थीम के अनुसार कपड़े पहनते हैं। यहां तक कि हजारों रुपए खर्च कर रस्म के अनुसार डेकोरेशन किया जाता हैं। साल 2020 से पहले इस तरह की किसी भी रस्म का प्रचलन कहीं पर भी देखने को नहीं मिलता था, लेकिन पिछले दो-तीन साल से इसका प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ा है। पहले इन रस्मों के पीछे कोई दिखावा नहीं होता था, बल्कि तार्किकता होती थी। पहले के समय में दूल्हा दुल्हन को सुंदर दिखने के लिए ब्यूटीपार्लर नही जाना पड़ता था बल्कि घर पर ही उनके चेहरे को मुलायम और चमकदार बनाने के लिए हल्दी, चंदन, आटा, दूध का उबटन लगाया जाता था। लेकिन आजकल की हल्दी रस्म मोडिफाइड, दिखावटी और मंहगी हो गई है। जिसमें हजारों रूपये खर्च कर डेकोरेशन किया जाता है। शादियों में होने वाले इस दिखावे और बनावटीपन के कारण आर्थिक रूप से असक्षम परिवार के बच्चे भी इस शहरी बनावटीपन में शामिल होकर परिवार पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाल रहे है। क्योंकि उन्हें अपने दोस्तों, परिचितों के सामने अपना स्टेटस दिखाना हैं, इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि के लिए रील बनानी है। उनके इस दिखावे के कारण माता पिता कर्जे में डूब जा रहे हैं इसकी चिंता उन्हे बिलकुल नहीं हैं।