वन विभाग परिसर में चल रहा था शराब निर्माण का अवैध कारोबार, ग्रामीणों की सतर्कता से हुआ मामले का खुलासा…

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हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : शहर सीमा से लगे ग्राम सकालो में वन विभाग के विश्राम गृह परिसर में ग्रामीणों ने शराब निर्माण की फैक्ट्री का पर्दाफाश किया हैं। ग्रामीणों ने मौके से हाईटेक तकनीक से देशी महुआ शराब बनाने के सामान बरामद किए हैं। मौके से लगभग चार सौ लीटर देशी महुआ शराब, एक हजार किलो महुआ लहान के साथ छोटी-बड़ी दर्जनों पानी की टँकिया, जरीकेन,पंप, पाइप, गुड,सौंफ़ सहित अन्य सामान बरामद किया गया है। इस मामले में चार संदिग्धों को पकड़ा गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है। इन लोगों पर गांव में चोरी और चोरी के सामान खपाने का भी आरोप है। गांधीनगर पुलिस सामानों की जब्ती के साथ संदिग्धों से पूछताछ भी कर रही हैं।मिली जानकारी के अनुसार गांधीनगर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत सकालो व आसपास के क्षेत्र में चोरी की छोटी बड़ी घटनाएं हो रही थी। इसमें एक संदिग्ध का नाम सामने आया था। उसकी खोजबीन में गांववाले लगे हुए थे। सकालो में वन विभाग का एक विश्राम गृह (रेस्ट हाउस) है। उसी क्षेत्र में संदेही के होने की संभावना पर गांववाले वहां पहुंच गए। रेस्ट हाउस के पीछे एक झोपड़ी थी जिसे मिट्टी से लेप कर मकान बनाया जा रहा था। गांववाले जब वहां पहुंचे तो महुआ शराब का अवैध फैक्टरी मिला। बड़े-बड़े ड्रम,पानी की टँकी तथा बर्तनों में भरकर रखे शराब को देखकर सभी अवाक रह गए। आरोपियों द्वारा मौके पर पूरा हाईटेक सिस्टम लगाया गया था। 400 लीटर देशी महुआ शराब के साथ लगभग 1000 किलो महुआ भीगा कर रखा गया था। सूचना पर सीएसपी स्मृतिक राजनाला पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। टुल्लू पंप, जरीकेन, ब्लोअर, एक दर्जन विभिन्न आकार के पानी टंकी, पंखा सहित भारी मात्रा में सामान मिला। मौके से 4 लोगों को हिरासत में ले लिया गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है।


वन विभाग के परिसर का हो रहा था उपयोग लेकिन वन विभाग को नहीं लगी खबर

प्रतापपुर मुख्य मार्ग के किनारे वन विभाग के विश्रामगृह के बगल में ही देशी शराब निर्माण की फैक्ट्री चल रही थी। वन विभाग के परिसर का उपयोग इस अवैध धंधे के लिए किया जा रहा था। उक्त रेस्ट हाउस में वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों का भी आना-जाना लगा रहता था बावजूद इसके परिसर में अवैध झोपड़ी निर्माण कर उसमे अवैध शराब निर्माण का खेल चल रहा है जिसकी भनक भी किसी को नहीं लग पाई। ऐसे में वनविभाग के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही हैं।

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