नए एसएसपी के आने के बाद 1 महीने हुई तीन बड़ी वारदात..

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शुभम दुबे
कानपुर

शहर में नए एसएसपी साहब के आने के बाद भी अपराध पर कोई लगाम नहीं लग रहा है गौरतलब है कि एक महीने में कई आपराधिक वारदातें हुईं। बीते एक महीने यानि 16 जून से 16 जुलाई तक ऐसे तीन बडी घटनाएं हुई जो पूरे देश में चर्चा का विषय बनी रहीं। जिसमें बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का मामला पूरे देश में सुर्खियों में अब तक है। एक महीने की तीन बडी आपराधिक वारदात जिसमें पुलिस की नाकामी के साथ उनके उसमें शामिल होने की भी पुष्टि होती रही। यहां तक की एसओ रैंक के पुलिस अफसर तक जांच के घेरें में आ गए। आपराधिक वारदातों के चलते योगी सरकार पर विपक्षियों ने भी खूब हमला बोला। कांग्रेस, बसपा और सपा के नेताओं ने यूपी को अपराधियों का गढ तक बता दिया

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बसपा नेता पिंटू सेंगर पर दिनदहाड़े बदमाशों ने गोलियां बरसा दीं। घटना चकेरी थाना क्षेत्र के जाजमऊ केडीए आशियाना कॉलोनी के पास की है।सेंगर को गंभीर हालत में रिजेंसी अस्पताल में एडमिट कराया गया। यहां उपचार के दौरान मौत हो गई। एसएसपी SSP  समेत आला अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया।

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कानपुर में एक हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर बदमाशों ने गोलियां बरसा दी. इसमें एक क्षेत्राधिकारी यानी डिप्टी एसपी समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हुए हैं. हमले में सात पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. कानपुर के चौबेपुर थाना इलाके में पुलिस ने बिकरू गांव में दबिश दी थी. पुलिस यहां हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई थी.

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बर्रा पांच एलआइजी कॉलोनी निवासी पान विक्रेता चमन का 27 वर्षीय इकलौता बेटा संजीत 22 जून को अस्पताल से घर लौटते समय लापता हो गया था। चमन ने बर्रा थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। दो दिन बाद एसएसपी की फटकार के बाद अपहरण का मुकदमा दर्ज गया। चमन ने बर्रा विश्व बैंक कॉलोनी निवासी राहुल यादव व उसके परिवारवालों पर शक जताते हुए तहरीर दी थी। आरोप लगाया कि बेटी से रिश्ता तोडऩे के चलते आरोपित धमका रहे थे। पुलिस ने 23 जून को ही राहुल को हिरासत में ले लिया था। उसके पीएसी में तैनात पिता और चाचा (मैनपुरी में दारोगा) से भी पूछताछ की गई, लेकिन संजीत का सुराग नहीं मिला। 29 जून से अपहर्ता ने 30 लाख रुपये फिरौती के लिए फोन करना शुरू कर दिया।
14 जुलाई को परिवारवालों ने एसएसपी दफ्तर पहुंचकर बताया कि सोमवार रात बर्रा थाना प्रभारी रणजीत राय के कहने पर उन्होंने रकम का इंतजाम किया और अपहर्ता के बुलाने पर पुलिस के साथ जाकर गुजैनी हाईवे के नीचे रेलवे लाइन पर रकम से भरा बैग फेंक दिया था। बावजूद इसके बेटा नहीं मिला और न ही अपहर्ता पकड़े गए। मामला मीडिया की सुर्खियां बना तो पुलिस बैकफुट पर आ गई और एसपी साउथ अपर्णा गुप्ता ने बैग में रकम न होने का बयान दिया। संजीत की बहन रुचि ने कहा कि पिता ने मकान और जेवर बेचकर 30 लाख रुपये जुटाए थे। भाई के साथ अब यह पैसा भी चला गया। तब एसएसपी ने पुलिस टीम के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे।

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