फर्जी प्रस्ताव बनाकर 24 लाख का गबन, सीईओ के कार्यवाही के लिखित आश्वासन के बाद आंदोलन स्थगित…

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हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : पोड़िपा में सरपंच-सचिव पर शासकीय राशि का बंदरबांट किए जाने का आरोप लगाते हुए बुधवार को प्रस्तावित आंदोलन को जनपद सीईओ के लिखित आश्वासन पर स्थगित कर दिया गया है। आदिवासी एकता महासभा द्वारा आश्वासन के बाद मामले की निष्पक्ष जांच व कार्रवाई न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी प्रशासन को दी गई हैं।

गौरतलब है कि सूरजपुर ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत पोड़िपा में सरपंच, सचिव, सरपंचपति पर बगैर पंचायत बैठक व ग्रामसभा किए बिना ही फर्जी प्रस्ताव बनाकर करीब 24 लाख रुपए की शासकीय राशि के गबन किए जाने का आरोप लगाते हुए पिछले दिनों कई बार कलेक्टर के अलावा जिपं सीईओ व जनपद सीईओ को ज्ञापन देकर आदिवासी एकता महासभा द्वारा जांच कराकर कार्रवाई की मांग की जा चुकी थी। बावजूद इसके आज तक संबधित पोड़िपा पंचायत के सरपंच, सचिव व सरपंच पति के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस बात से क्षुब्ध होकर महासभा द्वारा गतदिनों कलेक्टर को ज्ञापन देकर 20 सितंबर को ग्राम पंचायत पोड़िपा के पंचायत भवन कार्यालय के समक्ष रैली निकालकर चक्काजाम किए जाने की बात कही गई थी। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत बुधवार 20 सितंबर को जब महासभा के पदाधिकारी व सदस्य जनपद सदस्य कमलेश सिंह के नेतृत्व में पंचायत भवन पोड़िपा के सामने आंदोलन हेतु एकत्र हुए। तभी सूरजपुर जनपद सीईओ विनोद कुमार सिंह, प्रतापपुर एसडीओपी अमोलक सिंह, लटोरी नायब तहसीलदार सुशील शुक्ला, थाना प्रभारी जयनगर सरफराज फिरदौसी, चौकी प्रभारी लटोरी धनंजय पाठक, खडग़ंवा चौकी प्रभारी बृज किशोर पांडेय तत्काल दलबल के साथ मौके पर पहुंच गए।

जांच टीम का किया गया गठन
सूरजपुर जनपद सीईओ विनोद कुमार सिंह द्वारा लिखित में आश्वासन दिया गया कि शिकायत की 8 दिवस के भीतर जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए टीम का गठन कर दिया गया है और टीम की जांच रिपोर्ट मिलने पर उचित कार्रवाई उच्चाधिकारियों के मार्गदर्शन में किया जाएगा। इसके महासभा के प्रतिनिधियों द्वारा अपना आंदोलन स्थगित कर दिया गया। महासभा के प्रतिनिधियों ने बताया की पोड़िपा सरपंच व सचिव के अलावा सरपंच पति द्वारा शासन के करीब 2412000 रुपए फर्जी प्रस्ताव के आधार पर आहरित कर गड़बड़ी की गई है। आरोप यह भी है कि पोड़िपा पंचायत में जनवरी माह से आज तक ग्राम सभा भी नहीं कराई गई है, जिससे ग्रामवासियों को शासन की योजनाओं से वंचित होने विवश होना पड़ रहा है।

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