हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : छत्तीसगढ़ का सरगुजा जिला आदिम जाति बहुल क्षेत्र था लेकिन जब अम्बिकापुर सहित जिले के अन्य ब्लॉक का विकाश शुरू हुआ तो भू–माफियाओं की नजर इन भोले–भाले गरीबों की जमीन पर पड़ी और देखते ही देखते अम्बिकापुर के इन आदिवासियों के साथ अत्याचार होना शुरू हो गया और भू माफियाओं द्वारा उनकी जमीन पर गैर कानूनी तरीके से कब्जा करते हुए उन्हें उनकी जमीन से बेदखल कर दिया गया। भोले भाले आदिवासियों को या तो कुछ पैसों का लालच दिया जाता था या फिर बाहुबल से इन्हें डरा धमका कर इनकी जमीनों को लूट लिया जाता है। भू–माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं क्योंकि इनका साथ देने के लिए राजस्व विभाग में कई दलाल बैठे हुए हैं जोकि सैलरी सरकार से लेते हैं और जी हजूरी इन भू माफियाओं के करते हैं। ऐसा ही एक मामला अंबिकापुर के कांति प्रकाश पुर से उजागर हुआ था जहां कोरवा जनजाति के सुग्गी कोरवा की जमीन पर कुछ भूमाफिया द्वारा अवैध निर्माण कार्य कराया जा रहा था जिस पर हिंद स्वराष्ट्र की दखल के बाद प्रशासन द्वारा स्टे लगा दिया गया था। लेकिन जैसे ही कुछ समय बीता तब मामले को दबता देखकर 170 ख के तहत प्रकरण दर्ज होने के बावजूद भू माफिया द्वारा राजस्व विभाग से सांठ गांठ और जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण जिस निर्माण कार्य को अधूरा छोड़ा गया था उसे पूरा कर लिया गया है। कोरवा द्वारा अपनी जमीन बचाने के लिए कलेक्टर सरगुजा को भी आवेदन दिया गया।


पीड़ित द्वारा थाना कोतवाली से लेकर के तहसीलदार एसडीएम तक को मामले से अवगत कराया गया लेकिन शायद गरीबों को इंसाफ दिलाने का सारा दामोदार पत्रकारों ने हो उठा रखा है शायद यही कारण है कि प्रशासन से मदद ना मिलता देख गरीब कोरवा फिर से पत्रकारों की शरण में आया है और अपनी आवाज उठाने की गुहार हिंद स्वराष्ट्र से लगाई हैं।
170 ख भू. रा. सं. का प्रकरण केवल पटवारी प्रतिवेदन के कारण लंबित
आपको बता दे की एसडीएम कार्यालय अंबिकापुर में इसी मामले में आरोपियों के खिलाफ 170 ख भू राजस्व संहिता का प्रकरण चल रहा हैं। जो केवल पटवारी प्रतिवेदन के कारण लंबित हैं। आपको बता दें कि जुलाई 2022 में स्टे लगने के बाद यह मामला लंबित है जुलाई 2022 से आज अप्रैल 2023 आ जाने के बावजूद पटवारी द्वारा आज तक प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है पीड़ित का आरोप है कि पटवारी द्वारा जानबूझकर और अपने समुदाय के व्यक्ति को बचाने के लिए प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया जा रहा है क्योंकि वह भी उसी समुदाय से है जिस समुदाय के खिलाफ यह मामला लंबित है।
पदभार ग्रहण करते ही दिए थे कलेक्टर ने दिए थे जांच के आदेश
पिछले वर्ष हिंद स्वराष्ट्र की खबर के बाद कमिश्नर व कलेक्टर द्वारा इस मामले को संज्ञान में लेते हुए आरोपियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई करते हुए कोरवा की जमीन वापस दिलाने के आदेश दिए थे जिसके बाद तत्कालीन नायब तहसीलदार द्वारा मौके पर जाकर वहां हो रहे अवैध निर्माण पर रोक लगाई गई थी और कुछ निर्माण कार्य हो रहे मकानों को तोड़ा गया था।
स्टे के बावजूद निर्माण हुआ पूरा
आपको बता दें कि राजस्व विभाग द्वारा स्थगन आदेश लगाने के बावजूद निर्माण कार्य पूरा हो गया है क्योंकि निर्माण कार्य शुरू होने के बाद से ही पीड़ित कोरवा द्वारा मामले की शिकायत जिला प्रशासन से लेकर पुलिस प्रशासन से की गई थी लेकिन पुलिस द्वारा निर्माण कार्य रोकने के बावजूद भू माफिया के हौसले बुलंद हैं और उन्होंने निर्माण कार्य नहीं रोका बल्कि निर्माण कार्य पूरा कर लिया।
राजस्व विभाग के दायरे में आने वाला पहाड़ और सरकारी जमीन पर भी बन गए मकान देखते रह गया राजस्व विभाग
आपको बता दें कि कांतिप्रकाशपुर में है सुग्गी कोरवा जमीन के बगल में राजस्व के अंतर्गत आने वाले पहाड़ है और सरकारी जमीन भी है जिस पर अवैध उत्खनन का कार्य लंबे समय से जारी है जिस पर हमारी दखल के बाद रोक लगा दी गई थी और आनन-फानन में तत्कालीन नायब तहसीलदार द्वारा कुछ घरों को तोड़ा गया था लेकिन राजस्व विभाग की लापरवाही का नतीजा है कि वहां पर पुनः निर्माण कार्य कर लिया गया है और कई मकान बना दिए गए हैं पहाड़ों को भी आधा खोद दिया गया है और पहाड़ के अवैध खनन का कार्य अभी भी जारी है।
राजस्व विभाग के सांठ गांठ से भू माफियाओं के हौसले बुलंद
राजस्व विभाग के समर्थन के बिना यह संभव ही नहीं है कि भू–माफिया राजस्व की जमीन पर निर्माण कार्य कर ले और पहाड़ खोदकर अवैध उत्खनन करते रहे जिसकी जानकारी राजस्व विभाग को कानों कान न चले। राजस्व विभाग सांठगांठ की बात यहां पर इसलिए आ रही है क्योंकि पीड़ित पक्ष के अलावा पत्रकारों द्वारा भी इस मामले की जानकारी नायब तहसीलदार संजीत पाण्डेय को भी 1 माह पूर्व दी गई है लेकिन उनके द्वारा इस मामले पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है या फिर उतना ही ध्यान दिया गया है जितना ध्यान देने से उनका काम बन सके?
पत्रकारों के दखल के बिना नहीं मिलता न्याय
पीड़ित पक्ष अपनी फरियाद लेकर इस अधिकारी से उस अधिकारी के पास दौड़ते रह जाते हैं लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता है, जब तक कि मामला मीडिया में नहीं आता। पत्रकारों के दखल के बिना इन को न्याय मिलना संभव ही नहीं हो पा रहा है आखिर इसका क्या कारण हैं???
राजस्व विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की बढ़नी चाहिए सैलरी
शायद सरकार राजस्व विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को कम सैलरी देती है शायद यही कारण है कि बेचारे अपना पालन पोषण नहीं कर पा रहे हैं और अपना घर चलाने के लिए उनको घूसखोरी का सहारा लेना पड़ रहा है। जिसका खामियाजा हमेशा गरीब इंसान को ही भुगतना पड़ता है क्योंकि अमीर इंसान तारीख पे तारीख लेना पसंद नहीं करता और इन घुसखोरो को घुस देकर अपना काम करवा लेता है परेशानी तो गरीबों को होती है जिनके पास इन घूसखोरों को देने के लिए ना तो पैसा होता है और ना ही अपना काम करवाने के लिए सोर्स लगाने का पावर। सरकार से आग्रह हैं कि या तो इन घूसखोरो के ऊपर उचित कानूनी कार्रवाई करें या फिर इन्हें इतनी सैलरी दे कि इन्हें गरीबों का शोषण करने की जरूरत ही ना पड़े।
जब तक नहीं होगी कड़ी कार्यवाही नही सुधरेगी राजस्व विभाग की लापरवाही
जब तक अपने पद का दुरुपयोग करने वाले ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों चाहे वो निचले तबके का हो या फिर ऊपरी कड़ी कार्यवाही नहीं होगी तब तक राजस्व विभाग सुधरने वाला नहीं है और इनकी लापरवाही का अंजाम हमेशा गरीब और मजबूर इंसान को भुगतना पड़ेगा। कार्यवाही न होने के कारण छोटे-छोटे मामलो के लिए हफ्तों महीनों सालों घुमाने का इनका जो फंडा है ऐसे ही चलता रहेगा और परेशान आम जनता होगी। आम जनता तारीख पर तारीख से परेशान होकर या तो इन घूसखोरो को घुस देकर अपना काम करवाना सही समझेंगे या तो फिर सालों परेशानी में अपना समय बिताएंगे।
