हिंद स्वराष्ट्र नई दिल्ली : केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में देश का आम बजट पेश किया। वित्त मंत्री के कार्यकाल का ये पांचवा बजट है वहीं केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का ये अंतिम बजट है। वित्तमंत्री ने इस बजट को अमृतकाल का पहला बजट बताते हुए इसकी सात प्राथमिकताओं को बताया, जिसे ‘सप्तऋषि’ का नाम दिया गया।
वित्तमंत्री ने गिनाई बजट की 7 प्राथमिकताएं
वित् मंत्री ने जिन सात प्राथमिकताओं को गिनाया उनमें-समावेशी वृद्धि, ग्रीन ग्रोथ , यूथ पावर, फाइनेंशियल सेक्टर, अंतिम छोर तक पहुंच, बुनियादी ठांचे का विकास और क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल शामिल है। इस बजट में वित् मंत्री ने कई बड़े ऐलानों का ऐलान किया।
केंद्रीय वित् मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को केंद्र की मोदी सरकार के दूसरे काल का अंतिम पूर्ण बजट पेश किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान वर्ष के लिए हमारी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7% रहने का अनुमान है, यह विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। भारतीय अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है और उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रही है।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2014 से सरकार के प्रयासों ने सभी नागरिकों के जीवन की बेहतर गुणवत्ता और गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित किया है। प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से अधिक बढ़कर 1.97 लाख रुपये हो गई है। इन 9 वर्षों में, भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 2 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। अंत्योदय योजना के तहत गरीबों के लिए मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी पूर्ण बजट में कई लक्ष्यों को साधने की कोशिश है. आयकर से छूट की सीमा को दो लाख रुपए और बढ़ा दिया गया है. अब से पांच लाख की जगह सात लाख की आय पर आयकर रिबेट मिलेगा.
नई छूट सीमा नई आयकर व्यवस्था के तहत मिलेगी. अब से नई आयकर व्यवस्था ही डिफॉल्ट व्यवस्था रहेगी. पुरानी व्यवस्था भी उपलब्ध रहेगी, लेकिन स्पष्ट रूप से कहने पर ही उसका इस्तेमाल किया जा सकेगा.
इसके अलावा टैक्स के स्लैबों में भी बदलाव किए गए हैं. पहले ढाई लाख तक की आय पर कोई कर नहीं लगता था, अब तीन लाख तक की आय पर नहीं लगेगा. पहले ढाई से पांच लाख तक की आय पर पांच प्रतिशत टैक्स लगता था, लेकिन अब तीन से छह लाख आय पर पांच प्रतिशत टैक्स लगेगा.
इसी तरह अन्य स्लैबों में भी बदलाव किए गए हैं. जानकारों का कहना है कि इन नए स्लैबों से सालाना हजारों रुपए की बचत की जा सकेगी. इसे चुनाव से ठीक पहले मध्यम वर्ग को लुभाने का कदम माना जा रहा है.