हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का परसा कोल ब्लॉक एक्सटेंशन पर बड़ा बयान सामने आया है। राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी को आवंटित परसा ईस्ट केते बासेन एक्सटेंशन को लेकर मंत्री टीएस सिंहदेव ने स्पष्ट कर दिया है कि यह खदानें नहीं खुलेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी इसके लिए सहमति दे दी है। पीकेईबी खदान का विरोध ग्रामीण करीब एक वर्ष से कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने खदान में कोल खनन के लिए एनओसी जारी की थी, लेकिन खदान के विरोध में स्वयं टीएस सिंहदेव ने ग्रामीणों का समर्थन करते हुए कह दिया था कि यदि गोली चली तो पहली मुझ पर चलेगी। टीएस सिंहदेव के इस रूख के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी नरम पड़ गए। उन्होंने कहा कि राजा साहब नहीं चाहेंगे तो पेड़ की एक डंगाल भी नहीं कटेगी।
बता दें कि सरगुजा जिले के उदयपुर में राजस्थान विद्युत उत्पादन कंपनी को आवंटित परसा कोल ब्लॉक में फिलहाल उत्खनन चल रहा है। वर्ष 2023 तक के लिए स्वीकृत इस परियोजना में कोल खनन समाप्त होने की कगार पर है। इसके बाद परसा ईस्ट केते बासेन एक्सटेंशन परियोजना के लिए ग्रामीणों के विरोध के बीच प्रदेश सरकार ने खनन की अनुमति दे दी थी। पीकेईबी कोल ब्लॉक का विरोध ग्रामीण एक वर्ष से अधिक समय से कर रहे हैं। प्रशासन एवं पुलिस द्वारा उत्खनन के लिए पेड़ों की कटाई शुरू कराने पर लोगों ने जंगल में निगरानी शुरू कर दी थी। ग्रामीणों का आरोप है कि कोल परियोजना के लिए प्रशासन ने फर्जी तरीके से ग्रामसभा की अनुमति दी है। ग्रामीणों के विरोध के कारण पेड़ों की कटाई नहीं हो सकी। अनुमान के अनुसार यहां करीब 2 लाख पेड़ काटे जाने थे।
एक्सटेंशन की 2 खदानें हैं प्रस्तावित
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि पूर्व में संचालित हो रही खदानों को लेकर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। जिला प्रशासन ग्रामीणों की सहमति से इसका विस्तार कर सकता है। परसा ईस्ट केते एक्सटेंशन खदान का करीब 90 फीसदी ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। टीएस सिंहदेव ने कहा कि खदान को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी सहमति दे दी है कि खदान नहीं खोली जाएगी और इसके लिए जो प्रक्रिया होगी पूरी की जाएगी यानी खदान की स्वीकृति निरस्त कराने की प्रक्रिया की जाएगी। भारी विरोध की वजह से सरकार एनओसी रद्द करने की प्रक्रिया शुरू करेगी।
2711 हेक्टेयर में कोल खनन की मंजूरी
राजस्थान के विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित परसा कोल ब्लॉक के डेवलेपमेंट एवं माइनिंग का ठेका अडानी इंटरप्राइसेस के हाथों में है। पहले चरण में परसा कोल ब्लॉक में 841 हेक्टेयर जंगल की भूमि से पेड़ों की कटाई की गई थी। दूसरे चरण में परसा ईस्ट-केते-बासेन कोल ब्लॉक में कुल 2711 हेक्टेयर क्षेत्र में कोल उत्खनन की मंजूरी दी गई थी। इसमें 1898 हेक्टेयर भूमि वनक्षेत्र है, जिसमें परसा, हरिहरपुर, फतेहपुर व घाटबर्रा के 750 परिवारों को विस्थापित करने का प्रस्ताव था। इसी खदान की एनओसी के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रायपुर में सीएम भूपेश बघेल से मिलने आए थे। उनके बाद राजस्थान विद्युत कंपनी के एमडी भी खदान शुरू कराने छत्तीसगढ़ दौरे पर आ चुके हैं।
‘बाबा नहीं चाहेंगे तो नहीं कटेगी डगाल’
पीकेईबी खदान के विरोध का समर्थन करते हुए मंत्री टीएस सिंहदेव ने ग्रामीणों के समक्ष कहा था कि गोली चली तो पहली गोली मुझे लगेगी। मंत्री के इस बयान के बाद भूपेश बघेल ने कहा कि बाबा साहब (टीएस सिंहदेव) का बयान आया है कि पहली गोली मुझे लगेगी। गोली चलने की नौबत ही नहीं आएगी, जो गोली चलाएगा पहले उन पर ही गोली चल जाएगी। सीएम बघेल ने स्पष्ट कर दिया था कि यदि बाबा नहीं चाहेंगे तो पेड़ तो क्या एक डगाल भी नहीं कटेगी। बता दें कि हसदेव अरण्य में पेड़ कटाई का मुद्दा देश सहित विदेशों तक पहुंचा था। देश और विदेशों तक में हसदेव बचाओ कैंपेन शुरू हुआ था। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ में ग्रामीणों के आंदोलन को अपना समर्थन भी दिया है।