सावधान!! भू माफियाओं के हौसले बुलंद, जमीन छीनकर देते हैं जान से मारने की धमकी, सबकुछ जानकर भी प्रशासन मौन….देखे वीडियो…

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हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पहाड़ी कोरवाओं के साथ कुछ भू माफियाओं द्वारा भारी अत्याचार किया जा रहा है। इन भूमाफिया द्वारा पहले तो भोले भाले बेचारे बेसहारा लोगों से उनकी जमीनों को छीन लिया जा रहा है, जमीन छीन लेने के बाद इनके द्वारा जमीन मालिकों को धमकी दे दी जा रही है और इन जमीनों पर कब्जा करते हुए इन जमीनों पर दूसरे प्रदेशों से लाकर विशेष समुदाय के लोगों को बसाया जा रहा है। अशिक्षित और अपने अधिकारों के बारे में जानकारी ना होने के कारण इन कोरवाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है। बेचारे भोले भाले ये ग्रामीण न्याय की आस लिए कभी कलेक्टर के पास तो कभी थाने जाते हैं लेकिन इनकी कोई नहीं सुनता है। कलेक्टर को आवेदन दिए जाने के बाद कलेक्टर द्वारा इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।

जब इन ग्रामीणों को जान से मारने की धमकी भू माफिया इरफान द्वारा दी जाती है तो ये ग्रामीण भयभीत हो जाते हैं और अपनी शिकायत लेकर कोतवाली थाना अम्बिकापुर जाते हैं जहां इन ग्रामीणों को थाने जाने के बाद बोला जाता है कि जाकर अपनी जमीन पर स्टे लगवा लो लेकिन इन बेचारे अशिक्षित ग्रामीणों को स्टे कैसे लगाया जाता है इसकी जानकारी नहीं है तो ये बिचारे अपनी जमीन पर स्टे कैसे लगवाएंगे?? आवेदक द्वारा पुलिस अधीक्षक सरगुजा को भी आवेदन दिए जाते हैं लेकिन शर्म की बात यह है कि 6 महीने बीत जाने के बावजूद पुलिस इस मामले में कोई एक्शन नहीं लेती है न ही इस मामले में कोई एफआईआर दर्ज की जाती है नाही पुलिस एक बार भी जांच के लिए मौके पर जाती है। पहाड़ी कोरवा के साथ इस तरह का व्यवहार काफी निंदनीय है और पुलिस की कार्यवाही पर सवालिया निशान खड़े करती है।

प्रशासन अगर चाहे तो इनकी मदद कर सकता है लेकिन ऐसा लगता नहीं है कि प्रशासन की नियत इन बेचारे कोरवाओं की सहायता करने की है शायद यही कारण है कि आवेदन देने के बावजूद इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है और भू माफियाओं के हौसले दिन प्रतिदिन और बुलंद होते जा रहे हैं। यही कारण है कि भू माफियाओं के द्वारा पहाड़ को काटकर अपने घर बनाए जा रहे हैं यहां तक कि सरकारी ठंड से बने तालाब का भी समतलीकरण कर दिया गया है और उस जमीन पर भी घर बना लिया गया है। शायद प्रशासनिक अमला का सपोर्ट इन भू माफियाओं के साथ है तभी तो पहाड़ को काट दिया जा रहा है और किसी के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है।

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