हिंद स्वराष्ट्र समाचारपत्र प्रतापपुर प्रशान्त पाण्डेय 6 महीना पहले एक हथनी की मौत होने से वन विभाग के कान खड़े होते हैं,और हथनी की मौत से जुड़े मामले की जांच वनविभाग के अधिकारी मानसिंह को दी जाती है,मानसिंह अपने कर्तव्य का पालन पूरी निष्ठा पूर्वक करते हैं और इतने निष्ठा पूर्वक करते हैं की 6 महीने में एक जांच को पूरी करके अपनी रिपोर्ट तक अपने उच्च अधिकारियों को नही सौंप पाते हैं,और उनके उच्च अधिकारी भी इतने कर्तव्यपरायण हैं की उनके एक हथनी की मौत से कोई फर्क नही पड़ता है, क्योंकि अगर फर्क पड़ता तो जांच रिपोर्ट जल्दी आ गई हो गई होती और अबतक दोषियों को सजा भी मिल गई होती।
मीडिया की दखल के चलते छः महीने बाद जल्दी रिपोर्ट की सबमिट:– मानसिंह
जांच अधिकारी मानसिंह का कहना एक लाइन मैन का एक्सीडेंट हो गया था जिसके चलते मैं उसका बयान नहीं ले पाया था लेकिन ऐसे में सवाल उठता है यदि 3 महीने से लाइन मैन एक्सीडेंट के कारण घर में था तो क्या जांच अधिकारी साहब इस बात की जहमत भी नही उठा सकते की वो उनके घर जाकर एक बार उनका बयान ले सकें या 3 महीने पहले ही उनसे उनका बयान ले सकें। लेकिन जब बात मीडिया की आई तो जल्द बाजी में जाके बयान लेकर रिपोर्ट सबमिट कर रहे हैं इससे क्या साबित हो रहा है बताने की जरूरत नहीं है।
क्या मिली भगत के चक्कर में हो रही मामले में दबाने की कोशिश
मामला 19 जनवरी 2022 का है जहां एक हथनी की मौत होती है और जांच के लिए वन विभाग द्वारा नियुक्त जांच अधिकारी मानसिंह के द्वारा जांच करके रिपोर्ट देने में इतने देरी करना कहीं अपराधियों से किसी लें देन की इशारा तो नही है।?
खैर यदि एक हांथी जैसा विशालकाय जानवर तो छोड़िए एक छोटा सा जानवर ही एक आम आदमी की गलती से मरता तो उस आम आदमी को मानसिंह जैसे ईमानदार अधिकारी जेल की सलाखों तक पहुंचा दिए होते लेकिन मामला विभागीय है तो आजतक लीपापोती ही चल रही है।
जांच रिपोर्ट आने के बाद क्या..?
लीपापोती या कार्यवाही
अब देखने वाली बात है की जांच रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में वन विभाग के बड़े अधिकारी क्या रुख लेते हैं या वो भी अपनी मौन सहमति देकर ही खुश रहते हैं ये तो आने वाला समय ही बताएगा