हिंद स्वराष्ट्र समाचारपत्र सूरजपुर ग्रामीण अंचलों में बेहतर स्वास्थ सुविधाओं के अभाव में अक्सर लोग उन सुविधाओं का विकल्प खोजने लगते हैं,जिन सुविधाओं का विकल्प ग्रामीण जन तलाशते हैं उसका फायदा कुछ झोलाछाप लोग जो कहीं से इंजेक्शन लगाने की ट्रेनिंग लेकर या देखा देखी में सिख कर आए हैं इनमे से कुछ तो डॉक्टर के चपरासी भी होते हैं जो डॉक्टर का सहयोग करते करते आधा अधूरा ज्ञान लेकर एक ऐसे क्षेत्र में चले आते हैं जहां उन्हें डॉक्टर समझा जाय और अपनी वेश भूषा भी एक डॉक्टर के जैसे बनाते हैं, लेकिन ये वही बात हो जाती है की शेर की खाल ओड लेने से दूसरा शेर नही हो जाता,आखिर इन झोलाछापों के इलाज से कोई ना कोई मर जाता है और उसके बाद ये फर्जी अपने झोला उठा कर वहां से भाग आते हैं,ऐसा ही मामला सूरजपुर जिले के जरही का है जहां एक झोलाछाप के द्वारा एक महिला का इलाज किया जा रहा था और एक दिन उस झोलाछाप के द्वारा इंजेक्शन लगाते ही वह महिला जमीन में गिरकर मौत हो जाती है।
पीड़ित पक्ष का कहना है ये इंजेक्शन लगाते ही महिला की मौत हो गई बाबजूद इसके अभी भी भटगांव पुलिस मामले में हांथ पे हाथ धरी बैठी हुई है,पीड़ित पक्ष के बयान के बाद भी पुलिस का उस झोलाछाप को ना पकड़ना कहीं ना कहीं किसी मिली भगत या लेन देन की ओर इशारा करती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भटगांव की पुलिस के द्वारा झोलाछाप डॉक्टर को एक बार थाने बुलाकर पूछ ताछ करने का कष्ट भी नही किया गया है। जब इस मामले पे प्रभारी से बात की गई तो प्रभारी का कहना है की वो अभी मेडिकल रिपोर्ट के आने का इंतजार कर रहे हैं उसके बाद ही कुछ कार्यवाही करेंगे।
नाम ना लिखने की शर्त पर कुछ सूत्र बताते हैं इस मामले में लेने देन करके मामले को दबाने की बात चल रही हैं।
हत्या जैसे मामलों में यदि लेने देन करके मामले को छोड़ दिया जाता है तो इससे शर्मनाक घटना और क्या हो सकती है।