प्रशान्त पाण्डेय
राजपुर
भारतीय कानून के अनुसार लड़की की शादी की उम्र 18 वर्ष तथा लड़के की 21 वर्ष है परंतु यदि इससे पूर्व विवाह किया जाता है या कराया जाता है तो वह कानूनन अपराध माना जाता है,यह गैर कानूनी माना जाता है लेकिन जब कानून के रक्षक ही कानून तोड़ने लगे तो लोगों का भरोसा कानून पर से तो उठ ही जाएगा ऐसे कानून पर कौन भरोसा करेगा जब तहसीलदार ने खुद अपनी अनुमति से नाबालिक को विवाह करने की अनुमति दी है।
तहसीलदार राजपुर सुरेश राय ने अपने तहसील के एक नाबालिक 19 वर्षीय बालक को अपने द्वारा हस्ताक्षरित कागज से विवाह की अनुमति दी जबकि नाबालिक लड़का तथा उसके परिजनों का कहना है कि उन्होंने तहसीलदार को इस बात की सूचना पहले ही दी थी।
सोचने वाली बात यह है कि जब लड़के पक्ष द्वारा विवाह अनुमति हेतु आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे तब तहसीलदार साहब की नजरों से नाबालिक की उम्र कैसे बच गई।
सोचने वाली बात तो यह है कि क्या तहसीलदार साहब कानून को नहीं मानते या उनका फैसला किसी भी कानून से बड़ा है और वो अपने आप में ही एक कानून हैं ऐसा इसलिए कहां जा रहा है क्योंकि उन्होंने जिस तरह से सब कुछ देखते हुए नाबालिक को विवाह करने की अनुमति दी उससे यह साफ जाहिर होता है कि वह भारतीय कानून को नहीं मानते वह अपने आप में ही एक कानून है।
हमारे संवाददाता ने जब उनसे इस संबंध में उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने कहा मैं इसकी जांच करूंगा फिर इस पर कार्रवाई करूंगा जब हमारे संवाददाता ने उनसे पूछा क्योंकि विवाह की अनुमति आपके द्वारा दी गई थी तो आप अपने आप पर क्या कार्यवाही करेंगे और क्या आप अपने ऊपर कार्यवाही करने के लिए सक्षम है, तहसीलदार साहब की खुद पर कार्रवाई करने की बातों से भी इस बात का पता चलता है कि वह अपने आप में ही एक चलता फिरता कानून है।
भारतीय कानून के अनुसार नाबालिक का विवाह नहीं हो सकता तो तहसीलदार द्वारा नाबालिक का विवाह कराए जाने पर तहसीलदार पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है।
