हिंद स्वराष्ट्र सूरजपुर फिरोज अंसारी : जिला सूरजपुर के भैयाथान ब्लॉक के हल्का नंबर 13 के पटवारी राम आधार यादव अपने पद का दुरुपयोग करते हुए गुंडागर्दी पर उतर आया है। किसी भी काम के लिए मोटी रकम लेकर काम करने के आदी इस पटवारी की शिकायत आए दिन आती रहती हैं। इस पटवारी पर तहसीलदार भी इतने मेहरबान है कि इनकी शिकायत आने पर इनका ही समर्थन करने लगते हैं और इस पटवारी का बीच बचाओ करते हैं ऐसा ही एक मामला सामने आया है जहां न्यायालय तहसीलदार तहसील भैयाथान जिला सूरजपुर द्वारा 3.1.2020 को जारी अपने एक आदेश में वसीयतकर्ता रोहिणी कुंवर दुबे द्वारा लिखित वसीयत पत्र दिनांक 12. 06.1989 अनुसार वाद भूमि को वसीयतग्रहिता संजय कुमार दुबे आ. हरिशंकर दुबे जाति ब्राह्मण का नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज कर रिकॉर्ड को दुरुस्त किए जाने हेतु आवेदन पारित किया तथा पटवारी को रिकॉर्ड दुरुस्त कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया। लेकिन अपनी आदत से मजबूर पटवारी रामाधार यादव द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए तत्कालीन तहसीलदार भैयाथान के द्वारा पैसों की लेनदेन कर मामले को आवेदक के पक्ष में करने का आरोप लगाते हुए आवेदक संजय दुबे से अभद्रता करने व गाली गलौज करते हुए पैसों की मांग करने लगा। पटवारी द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के एवज में ₹100000 की मांग की गई ₹100000 ना मिलने पर उसके द्वारा 3 साल बीत जाने के बावजूद प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया है साथ ही साथ आवेदक के साथ हमेशा इस मामले को लेकर बदतमीजी की जाती है।
पटवारी की हरकतों से तंग आकर पीड़ित पक्ष ने तहसीलदार और थाने में की थी शिकायत
पटवारी की हरकतों से तंग आकर पीड़ित पक्ष द्वारा तहसीलदार भैयाथान और थाने में भी शिकायत की गई किंतु उन्हें आज पर्यंत उनसे कोई सहायता नहीं मिल पाई।
हिंद स्वराष्ट्र के दखल के बाद तहसीलदार ने मांगा 3 दिन का समय
जब इस मामले की सूचना हिंद स्वराष्ट्र समाचार पत्र को लगी तब हमने पटवारी और तहसीलदार से मामले की जानकारी लेनी चाही जिस पर पटवारी रामाधार यादव द्वारा कुछ भी कहने से इंकार कर दिया गया और कहा गया कि हमने सारी जानकारी तहसीलदार को दे दी है जब इस मामले को लेकर तहसीलदार भैयाथान से बात की गई तब तहसीलदार द्वारा 3 दिन के भीतर मामले का निपटान करने की बात कही गई हैं। सोचने की बात यह है कि जिस मामले को 3 वर्षों से दबाकर रखा गया था उस मामले का निपटारा करने के लिए तहसीलदार को केवल 3 दिन का समय चाहिए तो उनके द्वारा इस मामले को 3 वर्षों से दबाकर आवेदक पक्ष को परेशान क्यों किया जा रहा था?अगर मामला 3 दिन में निपटाने योग्य है तो ऐसी स्थिति में आवेदक को इतना परेशान क्यों किया गया और उनको हुई परेशानी का भुगतान कौन करेगा???