इंसाफ की गुहार लगाते लगाते जमीन दलालों ने कर दी उसकी हत्या !! मिल गई मौत पर नही मिला इंसाफ…

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हिंद स्वराष्ट्र समाचारपत्र प्रशान्त पाण्डेय अम्बिकापुर : अम्बिकापुर के डिगमा ग्राम से एक बेहद दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है जहां एक आदिवासी व्यक्ति की जमीन कुछ जमीन दलालों द्वारा बिक्री कर दी जाती हैं जिसके बाद मामले का पता चलने पर जमीन मालिक पुलिस के पास मदद लेने जाता हैं और उसके साथ धोखा करने वाले 5 लोगो के खिलाफ 09/02/2022 को नामजद आवेदन देता हैं। आवेदन दिए जाने के दूसरे दिन ही आवेदक की संगीन परिस्थितियों में मौत हो जाती हैं और परिजनों द्वारा आरोप लगाया जाता हैं कि जमीन दलालों द्वारा उनके पिता को जहर पिला दिया गया जिससे उनके पिता की मृत्यु हो गई।

मृतक द्वारा अपनी मृत्यु के एक दिन पूर्व गांधीनगर थाने में 5 लोगो के
1 भोलू निवासी भगवानपुर
2 अनिल चटर्जी निवासी दर्रीपारा
3 राहुल निवासी भगवानपुर
4 निशांत कुमार जायसवाल दर्रीपारा। 5 मुकेश गुंडा मणिपुर

जो पेशे से जमीन दलाल हैं जैसा आवेदक ने पुलिस को दिए आवेदन में लिखा है।

इन पांचों जमीन दलालों द्वारा माखन राम को वृद्धा पेंशन दिलाने के नाम पर उसका आधार कार्ड फोटो आदि मांगा गया था जिस पर आवेदक द्वारा इन लोगो पर विश्वास करते हुए अपने उक्त दस्तावेज इन जमीन दलालों को दे दिया था तथा इन जमीन दलालों द्वारा धोखे से वृद्धा पेंशन के नाम पर रजिस्ट्रार ऑफिस में ले जाकर मृतक माखनराम से जमीन के पेपर में हस्ताक्षर करा लिए जाते हैं, चूंकि माखन को इस मामले में किसी प्रकार की अधिक जानकारी नहीं थी इसलिए उसने हस्ताक्षर किए लेकिन माखन राम को लगा कि उसने वृद्धा पेंशन मिलने के लिए दस्तावेजों में हस्ताक्षर करवाया गया हैं बाद में जब माखन राम को इस बात की सच्चाई का पता चला तब उन्होंने गांधीनगर थाने में लिखित शिकायत देकर इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की। परंतु न्याय मिल पाना एक आम इंसान के लिए इतनी आसान बात नहीं हैं शायद यही वजह था की गांधीनगर के ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ टीआई ने इस बड़े मामले को संज्ञान में नहीं लिया और अपराध पंजीबद्ध तक नही किया। आखिरकार न्याय की गुहार लगाते लगाते माखनलाल की मौत हो गई यहां तक कि माखनलाल की मृत्यु हो जाने के बाद भी अबतक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई हैं। मामले को कलेक्टर सरगुजा द्वारा अपने संज्ञान में ले लिया गया हैं। मामले की जांच के लिए सहायक कलेक्टर के नेतृत्व में एक दल गठित की गई हैं जो सात दिन में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी।

भेद ना खुले इस लिए हुई हत्या…?
परिजनों ने आरोप लगाया हैं कि मृतक माखनराम को जब अपने साथ हुए धोखेधड़ी का पता चला तो उसने पुलिस से मदत की आस लगाई लेकिन वो आस किसी काम का नही निकला। आवेदन देने के बाद माखन राम को जहर का सेवन करा कर मौत की नींद सुला दिया गया। अब ऐसे में सवाल उठता है की क्या गांधीनगर टीआई अलरिक की लापरवाही से एक व्यक्ति की मौत नही हुई है…?
क्या टीआई को इस मामले में तुरंत संज्ञान नही लेना चाहिए था..? ¹ अगर टी आई अलरिक ने इस मामले को गंभीरता से लिया होता तो एक व्यक्ति की जान बच जाती। अपने लिखित आवेदन में आवेदक ने सभी जमीन दलालों और उसके साथ धोखाधड़ी करने वाले लोगों के नाम उनके पते के साथ दिए हैं फिर भी गांधीनगर टीआई अपराधियों तक नही पहुंच पाए और अपराधियों द्वारा माखनलाल को अपने रास्ते से हटा दिया गया। ऐसे मामले सोचने पर विवश करते हैं की क्या इस मामले में टीआई को तत्काल कार्यवाही शुरू नहीं करनी चाहिए थी। आखिरकार ऐसी क्या वजह हैं कि टीआई गांधीनगर जमीन दलालों के उपर कुछ ज्यादा ही मेहरबान रहते हैं। क्या दलाली में कुछ हिस्सा पर्सेंटेज के तौर पर इनको भी मिलता है?? या उन्हें जमीन दलालों का इतना डर है कि वे कार्यवाही का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं??

अगर पुलिस ने तत्काल मामले को संज्ञान में लिया होता तो नहीं होती माखनलाल की मौत.. लिखित शिकायत दिए जाने के बावजूद मामले में किसी प्रकार की कोई कार्यवाही का न होना और उसके बाद आवेदक की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो जाना, किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा करती हैं। यह मामला कही न कही पुलिस को भी शक के घेरे में लाती हैं। गलती कहे या लापरवाही लेकिन इसकी वजह से एक बेकसूर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस मामले में जितनी कसूरवार माखनलाल के साथ धोखाधड़ी करने वाले हैं उतनी ही कसूरवार गांधीनगर पुलिस और थाना प्रभारी भी हैं। यदि थाना प्रभारी द्वारा मामले में त्वरित कार्रवाई की गई होती तो आज बेकसूर माखनलाल काल का ग्रास नहीं होता।

गांधीनगर थाने के खिलाफ लगातार आती हैं शिकायतें। गांधीनगर थाने के खिलाफ लगातार शिकायतें आती रहती हैं लोगो का कहना हैं कि यह कोई नई बात नही हैं। इस थाने में शिकायत लेकर आने वाले लोगो को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं। थाने में आवेदन लेकर आए लोगो को एफआईआर करवाने के लिए घंटो इंतजार करना पड़ता हैं।

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