हिंद स्वराष्ट्र अम्बिकापुर : 21 जनवरी 2022 को स्थानीय लखनपुर थाना के अंतर्गत आने वाले कुन्नी पुलिस चौकी में पदस्थ एक पुलिसकर्मी के द्वारा अपने अन्य दो आरोपियों के साथ अपनी पदस्थापना पुलिस चौकी के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले एक घर में रात को 10:00 बजे अवैध रूप से घुसकर 6वीं कक्षा की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाने का प्रयास किया गया बच्ची के चिल्लाने पर जब पीड़िता की बड़ी बहन ने उसे बचाया एवं शोर मचाने पर आरोपी वहां से भागने लगे भागते समय उक्त पुलिसकर्मी एवं उसके साथ के आरोपीगणों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी और भविष्य खराब करने की बात कही। आरोपियों द्वारा पीड़िता की बड़ी बहन के साथ हाथापाई भी की गई। घटना के तुंरत बाद पीड़िता बच्ची की बड़ी बहन रात को ही अपने छोटे-छोटे भाई बहनों को लेकर कुन्नी पुलिस चौकी जाती है और घटना की रिपोर्ट दर्ज कराती है।
पीड़ित पक्ष ने बताया कि 21 जनवरी 2022 को शाम 6:00 बजे ही उक्त आरोपी पुलिसकर्मी द्वारा उनके घर आकर पूछताछ किया जाता हैं और जब यह बात आस पड़ोस में सभी को मालूम थी की पीड़िता के मम्मी-पापा घर पर नहीं है और पड़ोस के किसी दूसरे गांव गए हुए हैं तब मौके का फायदा उठाकर उक्त पुलिसकर्मी अपने दो साथियों के साथ बकायदा वर्दी में, घर में अधूरे बने हुए निर्माणाधीन दीवार को फांदकर घर में अवैध रूप से प्रवेश कर जाता है फिर 12 वर्षीय बच्ची के साथ सामुहिक बलात्कार करने का प्रयास करता है, पूरी घटना की जानकारी होते हुए भी पुलिस चौकी द्वारा उन्हें सुबह आने को कहा गया एवं अगले दिन सुबह आरोपी पुलिसकर्मी द्वारा स्वयं पीड़िता के पिता को 100 रुपए देकर रवाना कर दिया जाता है और एफआईआर दर्ज नहीं किया जाता है.
जब 26 जनवरी 2022 को एक स्थानीय न्यूज पोर्टल के सोशल मीडिया पेज पर मामला उठाया गया तब जाकर पुलिस एफआईआर दर्ज कर IPC 457,354, 323, 34तथा POCSO की धारा 7 एवं 8 दर्ज कर 3 आरोपियों में से दो को गिरफ्तार कर जेल भेजती है
मामले की गंभीरता को देखते हुए अकिल अहमद ने घटना स्थल एवं एफआईआर की जांच की तो पुलिस पर आरोप लगाया कि एफआईआर में न्यूनतम धाराएं जोड़ी गयी हैं तथा आरोपी पुलिसकर्मी का केवल प्रथम नाम ही एफआईआर में दर्ज किया गया ना तो आरोपी पुलिसकर्मी के पिता का नाम दर्ज है ना ही उसका आरक्षक क्रमांक ही दर्ज किया गया है। उक्त बातों की लिखित शिकायत लेकर जब एक्टिविस्ट अकिल अहमद 2 फरवरी 2022 को पुलिस अधीक्षक सरगुजा से मिले तो अकिल अहमद ने बताया कि पुलिस अधीक्षक का रवैय्या ना केवल निराशाजनक था बल्कि उनका व्यवहार पीड़िता बच्ची एवं उसके परिजनों के साथ असंवेदनशील था।
इन्ही सब बातों से क्षुब्ध होकर आज पीड़िता के परिजनों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर बताया कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है, पुलिस वाले 50 हजार लेकर मामले को रफा-दफा करने का उनपर दबाव बना रहे हैं पीड़िता के परिजनों के आग्रह पर एक्टिविस्ट अकिल अहमद ने प्रेस को ब्रीफ करते हुए बताया कि चूंकि अपराध में सशस्त्र बल का सदस्य अपने तैनाती क्षेत्र में एक अन्य लोक सेवक शिक्षक तथा अन्य के साथ मिलकर 12 वर्षीय बच्ची के साथ अवैध रूप से घर में घुसकर सामूहिक बलात्कार का प्रयास किया है अतः पुलिस को IPC की धारा 511 एवं POCSO की धारा 9 & 18 भी दर्ज करना चाहिए एवं घटना की जानकरी मिलने पर एफआईआर दर्ज करने में असफल रहने वाले पुलिसकर्मियों के विरुद्ध भी POCSO का अपराध पंजीबद्ध करना चाहिए.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार से चर्चा के दौरान अकिल ने बताया कि पूरे मामले में सबसे बड़े दोषी पुलिस अधीक्षक सरगुजा हैं जिन्हें लिखित शिकायत देने के बाद भी उन्होंने अपने आरोपी पुलिसकर्मी को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी अतः उन्होंने इसकी शिकायत भारत के मुख्यन्यायाधीश, बिलासपुर उच्च न्यायालय के मुख्यन्यायाधीश के साथ अन्य जगहों पर करने का मन बनाया है.
अकिल ने स्थानीय पत्रकारों की समाज के प्रति संवेदनशीलता की प्रशंसा करते हुए कहा कि पत्रकारों के प्रयास से ही आज आरोपी पुलिसकर्मी को गिरफ्तार करने में पुलिस विवश हुई है ऐसे मामलों को गंभीरता एवं संवेदनशीलता से इसलिए उठाया जाना चाहिए क्योंकि ऐसे मामलों में आरोपियों को सजा मिलने पर इस तरह के अपराधों में कमी आएगी एवं हमारी बच्चियां सुरक्षित रह सकेगीं.