खड़गवां विकास खंड में सारस ताल से जरौधा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से सड़क निर्माण के नाम पर हो रही लीपापोती…

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हिंद स्वराष्ट्र कोरिया : जिले के खड़गवां विकास खंड में सारस ताल से जरौधा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से सड़क निर्माण के नाम पर लीपापोती की गई। ठेकेदार और विभागिय अधिकारी के साथ मिलकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क का करोड़ों रुपए गटक लिया जा रहा है, कही भी गुणवत्ता युक्त सड़क नहीं बनाया जा रहा है और उन रुपयों को ठेकेदार नेता और अधिकारी मिलकर चट कर रहे हैं। इस समय एक बड़ा मामला सड़क से संबंधित बड़ा चर्चित हो रहा है जिसका मुख्य कारण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में अधिकारियों के काला कारनामे है। विगत 10 सालों से कोरिया में जमे अधिकारी के कारनामे से हर कोई वाकिफ है लेकिन प्रशासनिक उदासीनता या उच्च अधिकारियो को भेंट पूजा के कारण कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं पा रहा है। छत्तीसगढ़ में ग्रामीण सड़क योजना एवं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के नाम पर गामीण अंचलों का पैसा अधिकारियों और ठेकेदारों ने अपनी तिजोरी में बेखौफ होकर बंद कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ शासन के विभागिय मंत्री को पूरे छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनाओं के तहत बनी सड़कों का भौतिक सत्यापन और टेंडर के सभी लेन-देन का ऑडिट उच्चस्तरीय टीम से जाच कराना चाहिए, जिससे निर्माण कार्य में जाँच के नाम पर सिर्फ लीपापोती की जा रही है। जिस कारण खुलासा नहीं हो पा रहा है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत खड़गवां के विकासखंड के गांवों सारस ताल से जरौधा में बनाई गई सड़को में मापदंडों व नियम कायदों दरकिनार कर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी ठेकेदारों से मिलीभगत करके बेतहाशा मुनाफा कमा रहे हैं। चूँकि शहरी क्षेत्र की सड़को को प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना की परिधि से बाहर रखा गया है और केवल गावं की ही सड़के इस परिधि में है, जिसका फायदा अधिकारी उठा रहे है। सारस ताल से जरौधा सड़क निर्माण में बरती गई लापरवाही और निर्माण के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार की शिकायत ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने कोरिया कलेक्टर से लिखित में शिकायत की है इस सड़क बनाने में घटिया मटेरियल का उपयोग करने पर स्थानीय जनपद सदस्य पवन कुमार नेटी ने ठेकेदार के मुंशी को कई बार हुआ सड़क की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ ना करने को कहा है। ठेकेदार ने अधिकारियो से मिली भगत करके सड़क के निर्माण में मापदंडो को ठेंगा दिखते हुए कार्य किए है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि कमीशन की लालच ने अधिकारियो के आंख-कान बंद कर दिया है और ठेकेदार घटिया निर्माण कर निर्माण लागत का बड़ा हिस्सा डकार रहे हैं। निर्माण एजेंसी की शर्तो के मुताबिक ठेकेदार पर कम से कम पांच वर्षो तह बनाई गई सडकको की मरम्मत की जिम्मेदारी भी होती है लेकिन एक बार ठेकेदार सडक¸ बनाकर हटा फिर दोबारा उस ओर देखता तक नहीं है। कोरिया जिले में बड़ी अनियमितता खड़गवां क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्राम सडक¸ योजना में काफी अनियमितता होने की शिकायत भी आ रही है। मलिटी कंट्रोल की जांच करने वाले अधिकारी भी कर रहे लीपापोती-मलिटी कंट्रोल को जांचने वाले अधिकारी भी बिना देखे मलिटी कंट्रोल का मानक प्रमाण पत्र दे कर घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे है। गांव की आम जनता ठेकेदार की दादागिरी और क्षेत्र के छुटभैय्ये नेताओं की दबंगई से डर कर खुलकर विरोध एवं शिकायत करने से भी डरते हैं क्योंकि विभाग के अधिकारी मनमाने ढंग से शिकायतों का निपटारा बिना कार्रवाई किए स्थानीय स्तर पर ही कर देते हैं।


क्या अधिकारियों के लिए सड़क निर्माण दुकान बन गई है
मतलब की बिल्ली को दूध की रखवाली प्रधानमंत्री ग्राम सडक¸ योजना के तहत बनाई गई सडक¸ो की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए व्यवस्था भी है। जिसके अनुसार सडक¸ बनाने वाले परियोजना अधिकारी जो जिला स्तर का होता है उसकी जिम्मेदारी होती है साथ ही उनके सहायता के लिए विभाग के ही सेवानिवृत अधिकारियो को शामिल किया जाता है लेकिन देखने में आता है कि ये अधिकारी भी ठेकेदारों से मिलकर लाखो रूपये वारा न्यारा कर देते है। प्राय: प्रत्येक सडक¸ का राज्य गुणवत्ता समीक्षक एवं राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षक द्वारा कम से कम तीन बार निरीक्षण करना अनिवार्य है । सिर्फ ऐसी सडक¸े जिनकी गुणवत्ता उच्च स्तर की हो, को ही मान्य किया जाता है। लेकिन देखने में आ रहा है कि ठेकेदारों पर इन अधिकारियो का लगाम नहीं है।
ग्रामीणों को सड़क निर्माण में दिखती है कमी पर डिग्री वाले अधिकारियों को क्यों नहीं दिखती कमी?
मौके पर जाकर इस बात की तस्दीक भी ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ किया है। सबने कहा कि सडक¸जो बनी है वह उच्च गुणवत्ता युक्त नहीं है और स्थल पर तो तत्काल का बिछाया हुआ डामर का मिश्रण उखड रहा था जब इस संबंध में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के एस डी ओ से दूरभाष से संपर्क कर जानकारी चाही तो उन्होंने कहा कि हमारे साईड सब इंजीनियर नीरज अग्रवाल से जानकारी ले सकते हैं जब हमारे द्वारा उनसे सड़क पर डामर बिछाते ही कुछ घंटों में उखड़ने के संबंध में जानकारी चाही तो उन्होंने ने कहा कि ऐसा नहीं है और जब हमने उनसे सड़क और डायर प्लांट की दूरी के संबंध में जानकारी चाही तो सब इंजीनियर नीरज अग्रवाल गोल मोल जवाब देने लगे कि साइड और प्लांट की दूरी नियम शर्तों के अंदर है। जबकि ठेकेदार के द्वारा नियम शर्तों के विपरित सड़क पर डामरीकरण का कार्य किया जा रहा है ठेकेदार के द्वारा डामरीकरण के कार्य के लिए सड़क निर्माण कार्य और डामर प्लांट की दूरी महज 60 किलोमीटर के अधिक नहीं होगी मगर सारस ताल से जरौधा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़क में डामरीकरण का कार्य 100 किलोमीटर की दूरी से किया जा रहा है इसी कारण ठंड के मौसम में डामरीकरण का कार्य और उसका टेम्परेचर कम होने के कारण सड़क कुछ ही घंटों में उखड़ रही है।
प्रधानमंत्री ग्राम सडक पर डामर की लेयर का है नही अता-पता
सड़क निर्माण कार्य में डामर के साथ हजारों घन मीटर क्रशर गिट्टी 20 एमएम का मिश्रण डामर प्लांट में तैयार कर सडक निर्माण में बिछाकर रोलर से रोलिंग किया जाता है उसके बाद सील कोट भी जीरा गिट्टी के मिश्रण से किया जाता है। सड़क निर्माण कार्य में ठेकेदार शासन के नियम शर्तों मापदंडों के अनुसार सड़क निर्माण कार्य किया जाता है सारसताल से जरौधा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़क में डामरीकरण का कार्य किया जा रहा है जहां पर डामरीकरण के कार्य में सड़क पर बिना टामपरेचर के डामर बिछाकर कार्य किया जा रहा है जो डामरीकरण के कुछ ही घंटों बाद सड़क से डामर उखड़ रहा है। इसकी शिकायत क्षेत्र के जनपद सदस्य पवन कुमार नेटी के द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के एसडीओ को जानकारी दी तो उन्होंने ने कहा उन्होने कहा मै बाहर हूँ संबंधित इंजीनियर को कहता हू।

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